नई दिल्ली। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने गलत ग्रुप का खून चढ़ाने से हुई मरीज की मौत के मामले में अस्पताल और डाक्टर को इलाज में लापरवाही का जि़म्मेदार मानते हुए 20 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। मुआवजे की यह रकम केरल के समद अस्पताल और डाक्टर एम पिल्लई को संयुक्त रूप से जान गंवाने वाली मरीज सजीना के माता-पिता को देनी होगी। इसके साथ ही आयोग ने एक लाख रुपये मुकदमा खर्च भी देने का आदेश दिया है।
राशि का भुगतान छह सप्ताह में करना होगा और ऐसा नहीं होने पर सात प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा। ये आदेश एनसीडीआरसी के अध्यक्ष जस्टिस आरके अग्रवाल और सदस्य डाक्टर एसएम कांतिकर की पीठ ने अस्पताल और डाक्टर की अपील खारिज करते हुए गत 25 मई को दिया। सजीना और उसके पति एके नजीर का केरल के तिरुवन्तपुरम के समद अस्पताल में बांझपन का इलाज चल रहा था।
इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए सजीना के स्वजन ने केरल के राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के समक्ष शिकायत दाखिल कर 45 लाख रुपये मुआवजा मांगा था। राज्य आयोग ने शिकायत आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 9,33,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया।
राज्य आयोग के फैसले के खिलाफ अस्पताल और डाक्टर ने एनसीडीआरसी में अपील दाखिल की थी। सुनवाई के पश्चात् राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि राज्य आयोग ने मुआवजा तय करने में गलती की है और मुआवजे की रकम बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी। चूंकि, मामले की सुनवाई के दौरान सजीना के पति की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, इसलिए मुआवजे की रकम सजीना के माता-पिता को मिलेगी।