ग्वालियर। मीठी तुलसी की खेती किसानों के जीवन में मिठास घोलने का काम करेगी, इससे किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, साथ ही यह मधुमेह रोगियों की संख्या में कमी लाने का भी काम करेगी, क्योंकि सरकार अब इस दिशा में कदम उठाने जा रही है।
हाल ही में उद्यानिकी विभाग के माध्यम से गुजरात की स्टीवियाटेक कंपनी ने शासन को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) पीपीपी माडल पर कांट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर बात कही गई है, जो हर जि़ले में 100 किसान को उद्यानिकी विभाग की मदद से पौध व तकनीक उपलब्ध कराई जायेगी। जब किसान फसल का उत्पादन कर लेगा तो कंपनी 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब से तुलसी की सूखी पत्ती खरीदेगी। असल में मध्यप्रदेश सरकार नवाचार के रूप में यह कदम हर जि़ले में उठाने पर विचार कर रही है।
प्रस्ताव के मुताबिक शुरुआत में हर जि़ले में 100 एकड़ भूमि पर मीठी तुलसी की फसल पैदा कराई जाएगी। यह 100 एकड़ भूमि 100 किसानों को मिलाकर होगी। एक किसान एक एकड़ भूमि पर पैदावार करेगा, जिसके खेत पर तुलसी की पत्ती को सुखाने के लिए एक छोटा प्रोसेसिंग प्लांट लगाना होगा। उद्यानिकी विभाग इसमें मदद करेगा और खेती करने के लिए उपयोगी संसाधन के सिए 50 हज़ार रुपये की सब्सिडी भी देगा।