माता धूमावती का प्रकटोत्सव ज्येष्ठ मास की शुक्लपक्ष की अष्टमी को है। अग्रेज़ी कैलेंडर के अनुसार यह जयंती 27 मई 2023, दिन शनिवार को मनाई जाएगी। माता धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति हैं।
कहते हैं कि माता धूमावती का कोई स्वामी नहीं है। इसलिए यह विधवा माता मानी गई हैं और ये महाशक्ति स्वयं नियंत्रिका हैं। ऋग्वेद में रात्रिसूक्त में इन्हें ‘सुतराÓ कहा गया है। अर्थात् ये सुखपूर्वक तारने योग्य हैं।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, ऋषि दुर्वासा, भृगु और परशुराम आदि की मूलशक्ति माँ धूमावती हंै। सृष्टि कलह की देवी होने के कारण इन्हें कलहप्रिय भी कहा जाता है। देवी का मुख्य अस्त्र है सूप, जिसमें ये समस्त विश्व को समेटकर महाप्रलय कर देती हैं। इन्हें अभाव और संकट को दूर करने वाली माँ कहा गया है। चतुर्मास देवी का प्रमुख समय होता है, जब इनकी साधना की जाती है। इनकी साधना से जीवन में निडरता और निश्चिंतता आती है। इनकी साधना या प्रार्थना से आत्मबल का विकास होता है। इस महाविद्या के फल से देवी धूमावती सूकरी के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर साधक के सभी रोग अरिष्ट और शत्रुओं का नाश कर देती है।
इस महाविद्या की सिद्धि के लिए तिलमिश्रित घी से होम किया जाता है। धूमावती महाविद्या के लिए यह भी ज़रूरी है कि व्यक्ति सात्विक और नियम, संयम और सत्यनिष्ठा का पालन करने वाला लोभ-लालच से दूर रहे और शराब और मांस को छूए तक नहीं।