Saturday, November 23, 2024
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नया वर्ष भारत को ऊँचाइयों की ओर ले जायेगा और बढ़ते क्रम में प्रवाहित होगी अध्यात्मिक ऊर्जा

संकल्प शक्ति। धर्मसम्राट् युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने नूतन वर्ष 2024 के प्रथम दिवस; दिनांक 01 जनवरी को अपने चेतनाअंशों, शिष्यो-भक्तों, देशवासियों और विश्वजनमानस को आशीर्वाद प्रदान करते हुए चिन्तन दिया कि ”हमारे सनातनधर्म में चैत्र नवरात्र प्रतिपदा से नए वर्ष का प्रारम्भ होता है, लेकिन जब किसी चीज को सम्पूर्ण समाज आत्मसात कर लेता है, जैसे कि अंग्रेज़ी वर्ष के कैलेण्डर के अनुसार प्रारम्भ दिनांक 01 जनवरी को नववर्ष के रूप में मनाया जाना, तो इसे भी मानना न्यायोचित माना जाना चहिए। इसलिए हम इसे भी मनाते हैं। चाहे कोई भी क्रम प्रारम्भ हो, उसे अध्यात्मिकस्वरूप देकर धार्मिक वातावरण में शुरू करना चाहिए, लेकिन देखा जाता है कि पश्चिमीसभ्यता में रंगे लोग इस नए वर्ष के प्रारम्भ दिवस को प्राय: फिल्मी धुनों, नाच-गाने, शराब व ड्रग्स के नशे और फूहड़पन में व्यतीत करते हैं, जा कतई ठीक नहीं है।  

भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ता आज के दिन को अध्यात्मिकस्वरूप देते हुए 24 घंटे या 05 घंटे के श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ और माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की दिव्य आरती करके मनाते हैं। देशभर में हज़ारों-हज़ार स्थानों पर समाज के बीच यह क्रम समारोहपूर्वक सम्पन्न किए जाते हैं, जिससे ‘माँÓ की कृपा प्राप्त करके मानवसमाज विकारों से मुक्त होकर सुख-शांति-समृद्धि के पथ पर आगे बढ़ता रहे। आगे चलकर चैत्र प्रतिपदा के दिन को नूतन वर्ष के रूप में मनाने हेतु व्यापक स्वरूप दिया जायेगा।

मेरी शुभकामना है, मेरा आशीर्वाद है कि यह नया वर्ष भारत को उन्नति की ओर, ऊँचाइयों की ओर ले जायेगा और अध्यात्मिकऊर्जा बढ़तेक्रम में प्रवाहित होगी। आप लोगों ने युगपरिवर्तन का शंखनाद किया है, महाशक्ति शंखनाद किया है, फलस्वरूप परिवर्तन आप देख ही रहे हैं। यह शक्ति का युग है, ‘माँÓ का युग है। देवताओं पर भी जब संकट आता है, तो माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा से वह संकट दूर होता चला जाता है। भगवान् श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य राममंदिर का बनना विश्व की मानवता की सफलता है और ‘माँÓ की कृपा से उस मंदिर का लोकार्पण समारोह दिनांक 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है। उस दिन सभी लोग कम से कम 05 घंटे का श्री दुर्गाचालीसा पाठ अवश्य करें। इतना ही नहीं, रामचरितमानस का पाठ करके मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवनचरित को अपने जीवन में उतारें। केवल जय श्रीराम कह देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि उनके पदचिन्हों पर चलना पड़ेगा।

दिनांक 22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर में रामलला की स्थापना और मंदिर का लोकार्पण समारोह है, तो दिनांक 23 जनवरी को इस पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम का स्थापना दिवस है। ये दो दिन आपको अध्यात्मिकक्रम के लिए मिल रहे हैं, जो कि आपके सौभाग्य को बढ़ाने वाले हैं।

नशामुक्ति से ही साकार होगी रामराज्य की कल्पना  

राममंदिर के निर्माण का श्रेय, इस बात का लाभ यदि भाजपा लेना चाहती है, तो लेना ही चाहिए, क्योंकि भाजपा ने सनातनधर्म के लिए कुछ कार्य किया है। मोदी और योगी के द्वारा सनातनधर्म के लिए जो कार्य किया जा रहा है, उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं, परन्तु…। कहते हैं कि राम आएंगे, हमारे सनातनधर्म का परचम फहरायेगा, अध्यात्मिकऊर्जा से हमारा देश प्लावित होगा, तो ठीक बात है, लेकिन यह तभी होगा, जब पूरा देश नशामुक्त घोषित होजायेगा और जब तक देश नशामुक्त नहीं होगा, तब तक यह सम्भव नहीं है, क्योंकि नशे के चलते अपराध बढ़तेक्रम में हंै, फिर रामराज्य की कल्पना कैसे साकार हो सकती है? सभी क्षेत्रों में हम विकास के पथ पर बढ़ रहे हैं, लेकिन समाज किस दिशा में जा रहा है, इस पर किसी का ध्यान नहीं है! हमें समाज को भी देखना पड़ेगा तथा हमें नशे-मांसाहार से मुक्त, चरित्रवान् और चेतनावान् समाज का निर्माण करना होगा। इस विचारधारा पर काम करने की ज़रूरत है, अपने अन्दर दया, ममता, प्रेम, करुणा स्थापित करने की ज़रूरत है, तभी अध्यात्मिकऊर्जा का प्रवाह फैलेगा। 

बिलासपुर शिविर के लिए आवाहन

भगवती मानव कल्याण संगठन के द्वारा दिनांक 10-11 $फरवरी 2024 को बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में शक्ति चेतना जनजागरण शिविर का आयोजन किया गया है और उस शिविर के लिए मैं आवाहन करूँगा कि अधिक से अधिक लोग शिविर का लाभ लें। एक-एक शिविर महत्त्वपूर्ण होता है, जिसमें माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की दिव्य आरती की जाती है और उस दिव्य आरती को प्राप्त कर लेने से जीवन में बहुतकुछ परिवर्तन आता चला जाता है। मैं चाहूँगा कि देश के कोने-कोने से जो भी नशा करते हों, यदि उनका नशा छुड़वाना चाहते हैं, तो बिलासपुर में आयोजित शिविर में आप उन्हें लेकर उपस्थित हो सकते हैं। निश्चित रूप से दो दिन के इस शिविर में यदि सम्मिलित होंगे, तो वहाँ से नशामुक्त होकर जायेंगे।

अपने अन्दर अध्यात्मिकशक्ति जगाएं

नित्यप्रति अपने समय का सदुपयोग करें, क्योंकि जो समय निकल जाता है, वह पुन: प्राप्त नहीं होता। अपने अन्दर अध्यात्मिकशक्ति को जगाने का प्रयास करें। बाह्य भौतिकजगत् की सम्पत्ति को एकत्रित करने की अपेक्षा अध्यात्मिकजगत् की सम्पत्ति एकत्रित करने की ललक आपके अन्दर होनी चाहिए और हम अपने अन्दर की इस सम्पत्ति को अपने कर्म के बल पर, अपने पुरुषार्थ के बल पर उजागर करके स्वयं के साथ समाज का कल्याण कर सकते हैं, केवल इच्छाशक्ति दृढ़ होनी चाहिए। आज समाज इस सत्य को स्वीकार करे या न करे, एक-न-एक दिन स्वीकार करना पड़ेगा कि वर्तमानकाल का यह समय शक्ति का है, माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा का है और उनकी कृपा से समाज में बहुतकुछ परिवर्तन हो रहा है।  

 धर्मगुरु समाजहित में लगाएं अपनी सामथ्र्य

समाज के जो धर्मगुरु हैं, उनका नए वर्ष में आवाहन करता हूँ कि कम से कम इस नए वर्ष में अपनी सामथ्र्य को मानवता के कल्याण की दिशा में लगाने का प्रयास करें। आज यदि ये धर्मगुरु सच्चाई, ईमानदारी के साथ समाज के बीच, समाजहित में कार्य करना प्रारम्भ कर दें, तो समाज में बहुतकुछ बदलाव आ सकता है। जिसके पास जो सामथ्र्य है, उसे समाजकल्याण में लगाएं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि समाज में उग्रता न बढऩे पाए। सनातनधर्म को मानने वालों को उग्र नहीं होना चाहिए। चेतनावान् और उग्रता में बहुत बड़ा अन्तर होता है। चेतनावान् अध्यात्मिकऊर्जा से परिपूर्ण होता है और वह सोच-विचार करके कार्य करता है तथा अनीति-अन्याय-अधर्म के कार्य नहीं करता। जबकि, उग्र व्यक्ति सोचता-समझता नहीं, क्योंकि वह अध्यात्मिक परिवेश में रहा ही नहीं। हमें हर पल प्रयास करना है कि समाज चेतनावान् बने और अपने परिवार को सुख-समृद्धि देने के साथ ही तड़पती, कराहती हुई मानवता को सामथ्र्य प्राप्त हो, इसके लिए एक सशक्त माध्यम बन सकें।

सामान्य बात नहीं है ‘माँÓ का अखण्ड गुणगान

इस पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम में ‘माँÓ का अखण्ड गुणगान चल रहा है और यह कोई सामान्य बात नहीं है। इससे विश्व की मानवता लाभ उठा रही है। अयोध्या में सैकड़ों वर्ष के अथक प्रयास के बाद 22 जनवरी को रामलला की स्थापना और उनके भव्य मंदिर का लोकार्पण समारोह भी कोई सामान्य बात नहीं है, इससे हमारा सनातनधर्म हमेशा जीवंत रहेगा। यदि यह पावन पुनीत कार्य चैत्र नवरात्र पर रखा गया होता, तो और अच्छा होता, फिर भी एक अच्छे कार्य के लिए जो भी तिथि निश्चित की गई है, ठीक है। 22 जनवरी को हर व्यक्ति प्रभु श्रीराम के नाम की एक ज्योति अवश्य जलाए, जिससे विश्वजनमानस को प्रभु श्रीराम की कृपा प्राप्त हो सके।

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