आम को अमृतफल कहा गया है। ऐसा शायद ही कोई मनुष्य होगा, जिसने आम जैसे अमृतफल का स्वाद चखा न हो, इसलिए इसके विषय में ज़्यादा बताने की ज़रूरत नहीं है। यह भारतवर्ष के सभी प्रान्तों में पर्याप्त मात्रा में पैदा होता है।
जो आम जंगलों में अपने आप पैदा होते हैं, उन्हें रानी आम कहते हैं और जो आम खेतों में गुठली के बोने पर उगते हैं, उन्हें जंगली आम कहते हैं। जो ऊंची जाति के आमों में कलम बांधकर बागों या खेतों में लगाये जाते हैं, उन्हें कलमी आप कहते हैं। इनकी अनेक जातियां होती हैं, जैसे- दसहरी, कलमी, सुन्दरिया, लंगड़ा, सफेदा, मोहनभोग, हापुस, नीलम, तोतापरी, राजभोग, मोहनभोग, बारहमासी आदि। इसके अलावा क्षेत्र के हिसाब से भी अनेक जातियां पाई जाती हैं। कलमी आम में रेशा नहीं होता है, गूदा ज़्यादा होता है। देशी आम में रेसा होने के कारण चूस कर खाया जाता है। औषधीय कार्य में देशी आम ही ज़्यादा उपयोगी माना जाता है।
गुण दोष
आयुर्वेदिक मत से कच्चा आम खट्टा, कसैला तथा रुचिकारक है। यह अतिसार, योनिरोग, मूत्र व्याधि तथा गले के रोगों को सही करने वाला है। कच्चे आम की अमचूर खट्टी, स्वादिष्ट तथा कफ, वात को पैदा करने वाली है। पका आम स्वादिष्ट, मीठा, वीर्यवर्धक, देर से पचने वाला, शीतल, कान्तिवर्धक, प्रमेहनाशक तथा रुधिर रोगों को दूर करने वाला है। आम की बौर शीतल मलरोधक, अग्नि प्रदीप्त करने वाली, स्वाद को सही करने वाली, प्रमेह, कफ, पित्त का नाश करने वाली है। आम की जड़ शीतल, सुगन्धित, मलरोधक, कसैली, कफ और वात को नष्ट करने वाली है। आम के पत्ते मलरोधक, रुचिकारक, कसैले, कफ तथा पित्त को सही करने वाले हैं। आम की गुठली उल्टी, अतिसार तथा हृदय के आसपास की पीड़ा को नष्ट करने वाली है। आम की गुठली की बीजी का तेल स्वादिष्ट, कड़वा, मुखरोग, वात तथा कफ का नाश करने वाला है।
रोगनाशक नुस्खे
1. लू लगने पर- कच्चे आम को आग में भूनकर उसे एक कटोरी में पानी के साथ घोलें और उसमें खड़ी धनिया, सेंधा नमक, भुनाजीरा तथा चीनी मिलाकर सुबह-शाम पियें। इसे पना कहते हैं, इस पने के पीने से लू लगने से पैदा हुई गर्मी शान्त होती है और लू में आराम मिल जाता है।
2. आग से जलने पर- कोई व्यक्ति आग से जल गया हो, तो तुरन्त आम की गुठली को पीसकर जले हुये स्थान पर लगाये तो वहां की जलन शान्त हो जाती है।
3. मकड़ी का विष- किसी व्यक्ति को मकड़ी ने काट दिया हो, तो तुरन्त कच्चे आम की बनी अमचूर को पीसकर तुरन्त लगाने पर मकड़ी का विष नष्ट होजाता है। वहां की फुन्सियां तथा जलन शान्त हो जाती है।
4. दांतों का हिलना- आम के पत्ते तथा आम के पेड़ की छाल को आग में जलाकर कोयला बना लें। इस प्रकार के 100 ग्राम कोयले में आग में भुनी हुई फिटकरी 10 ग्राम, काला नमक 05 ग्राम को मिलाकर मंजन बना लें। उस मंजन को सुबह एवं शाम को दांतों में रगड़ें, इससे दांतों का हिलना, दांतों में पानी लगना तथा दातों से खून आना आदि सही होता है।
5. कान में दर्द- इसके कोमल पत्तों को पीसकर उसका रस कान में डालने से कान का दर्द सही होता है।
बृजपाल सिंह चौहान्र
वैद्यविशारद, आयुर्वेदरत्न