दक्षिणी राजस्थान के वागड़ अंचल डूंगरपुर-बांसवाड़ा जि़ले में प्रकृति की खूबसूरत कृति तितलियाँ सौ से अधिक प्रजातियों की पाई जाती हैं।
एक सर्वेक्षण के मुताबिक राजस्थान में लगभग 150 से अधिक प्रजातियों की तितलियां विद्यमान हैं और इसमें से 100 से अधिक प्रजातियां वागड़ अंचल के उक्त दोनों जि़लों में समान रूप से पाई जाती है।
मालूम हो कि डूंगरपुर और बांसवाड़ा जि़ले का वातावरण काफी हद तक प्रदूषणमुक्त है और यही कारण है कि ये क्षेत्र पक्षियों के साथ-साथ तितलियों को भी पसंद आते है।
गौरतलब है कि वागड़ अंचल की स्थानीय वनस्पति तितलियों को बहुत भाती है और इसके साथ ही कई प्रजातियों की तितलियां अन्य प्रदेशों से भी यहां पर प्रवास पर आती है। वागड़ अंचल में सर्वाधिक पाई जाने वाली प्रजातियों में कॉमन ग्रास यलो, स्पोटलेस ग्रास यलो, लेसर ग्रास ब्लू, डार्क ग्रास ब्लू, कॉमन इमीग्रांट, मोटल्ड इमीग्रांट, लाईम, कॉमन रोज, प्लेन टाईगर, लेमन पन्सी, ब्लू पन्सी, पिकॉक पन्सी, ग्रे पन्सी, यलो पन्सी शामिल हंै , वहीं पियोनियर कॉमन गल और पियेरोट, ग्राम ब्लू, फॉरगेट मी नोट आदि प्रजातियों की तितलियां सर्वाधिक मात्रा में पाई जाती हैं।