संकल्प शक्ति। अंत:करण के अंधकार को दूर करने और स्वयं को आत्मप्रकाश से प्रकाशित करने का पर्व दीपावली, अध्यात्मिक तपस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पर अलौकिकता समेटे हुए था। अमावस्या की काली रात में भी सिद्धाश्रम की धरती, दीपशृंखलाओं, रंग-बिरंगे विद्युत झालरों और भक्ति के आलोक से विहँस उठा था।
निर्माणाधीन महाशक्ति यज्ञस्थल, मूलध्वज साधना मंदिर, श्री दुर्गाचालीसा अखंड पाठ मंदिर और गुरुआवास सहित सिद्धाश्रम के सभी प्रतिष्ठान ज्योतिर्मयी होकर जन-जन को संदेश दे रहे थे कि ”यदि शांति प्राप्त करना चाहते हंै, तो धर्म-अध्यात्म की ज्योति से अंतस के अंधकार को दूर करके दीपपर्व के पावन प्रकाश की तरह स्वयं को प्रकाशित कर लो।
मध्यप्रदेश के शहडोल जि़ले में ब्यौहारी अनुविभाग अन्तर्गत सिद्धाश्रम सरिता के तट पर धर्म-अध्यात्म की ज्योति से प्रकाशित पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में दीपोत्सव पर्व, धार्मिक मान्यता के अनुरूप भक्तिमय वातावरण में मनाया गया। सिद्धाश्रम में पर्व की पूर्व संध्या से ही नशामुक्त, मांसाहारमुक्त एवं चरित्रवान् शक्तिसाधकों का आना शुरू हो गया था। दीपपर्व दिनांक 12 नवम्बर 2023 की प्रात:कालीन बेला में सभी भक्तों ने नित्यप्रति की तरह मूलध्वज साधना मंदिर और श्री दुर्गाचालीसा अखंड पाठ मंदिर में माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की दिव्य आरती का लाभ लेने के उपरान्त सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के श्रीचरणों को स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
सिद्धाश्रमवासियों सहित सभी गुरुभाई-बहन एवं ‘माँÓ के भक्त दिनभर भक्तिभाव में लीन रहे और शाम होते ही सभी ने प्रात:काल की तरह ही आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की स्तुति करने के उपरान्त सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के श्रीचरणों को स्पर्श किया और पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट की प्रधान न्यासी शक्तिस्वरूपा बहन ज्योति शुक्ला जी के करकमलों से शुभलक्ष्मी के रूप में 20-20 रुपए की राशि तथा प्रसाद के रूप में जलेबी मिष्टान्न व लाई प्राप्त करके अपने भाग्य को सराहा।
परम पूज्य गुरुवरश्री से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद सभी भक्तगण स्वामी रामप्रसाद आश्रम जी महाराज की समाधिस्थल पर गए एवं परिक्रमा की तथा स्वयं में विशेष चेतनात्मक प्रवाह का अनुभव किया।
इस तरह सिद्धाश्रम में धार्मिक भावना से ओतप्रोत, सादगीयुक्त पवित्र अध्यात्मिक वातावरण में सुख-समृद्धि के प्रतीक दीपावली पर्व को उल्लास-उमंग के साथ मनाया गया। नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान, चेतनावान्, परोपकारी और पुरुषार्थी भक्तों ने सिद्धाश्रम में जिस शान्ति का अनुभव किया, वह अन्यत्र मिलना सम्भव नहीं है।
संध्या बेला में मूलध्वज साधना मंदिर में रोशनी बिखेर रहे दीपों के मध्य परम पूज्य गुरुवरश्री तथा पूजनीया शक्तिमयी माता जी के द्वारा माता भगवती की पूजा-अर्चना तथा शक्तिस्वरूपा बहनों पूजा, संध्या और ज्योति जी के हाथों से छूटती सतरंगी फुलझडिय़ां। यह अनुपम दृश्य देखकर सिद्धाश्रम में उपस्थित हज़ारों भक्त भावविभोर हो उठे। माता भगवती की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् गुरुवरश्री स्वामी श्री रामप्रसाद आश्रम जी महाराज की समाधिस्थल पर गए और नमन किया। तत्पश्चात् दानवीर बाबा के पावन प्रांगण पर गए और फिर त्रिशक्ति गोशाला पहुंचकर गायों को स्नेह-दुलार देते हुए अपने करकमलों से पूडिय़ाँ खिलाईं। गोशाला में गोसेवकों के द्वारा जगह-जगह अतिमनभावन तोरणद्वार बनाए गए थे, जो दीपावली पर्व की सार्थकता को प्र$कट कर रहे थे।