इन्दौर। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से दिनांक 6-7 जनवरी 2024 को श्री वैष्णव नामदेव, क्षीपा समाज धर्मशाला, श्रेयस नगर, छोटा बांगड़दा रोड, जि़ला-इन्दौर में 24 घंटे का श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ सम्पन्न किया गया।
समापन अवसर पर भगवती मानव कल्याण संगठन की केन्द्रीय अध्यक्ष सिद्धाश्रमरत्न शक्तिस्वरूपा बहन पूजा शुक्ला जी ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ”राजसत्ताएं, तथाकथित राजनेता देश को नशे जैसी महामारी की ओर लगातार ढकेल रहे हैं। आप लोगों को माँग करनी चाहिए कि देश को, प्रदेश को पूर्णरूपेण नशामुक्त घोषित किया जाए, नशे का कारोबार बन्द किया जाए। ये राजनेता स्वच्छता की बात करते हैं; अरे, जब इनका हृदय ही स्वच्छ नहीं है, तो बाह्य स्वच्छता किस काम की? पहले अपने अन्दर के मैल को, अपने हृदय को साफ करें, फिर स्वच्छता अभियान चलाने की बात करें, तो अच्छा होता।
ध्यान रखें; जो आत्मा मेरे अन्दर है, वही आत्मा आपके अन्दर है, जो ज्ञान मेरे पास है, वही ज्ञान आपके पास है, माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा मेरी आत्मा की जननी हैं, तो आपके आत्मा की भी जननी हैं। अत: सत्यपथ के राही बनें और मानवता की सेवा, धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा जैसे पावन मानवीय कत्र्तव्यों को पूरा करने की दिशा में बढ़ चलें, तो ‘माँÓ-गुरुवर का आशीर्वाद सदैव आपके ऊपर बना रहेगा।ÓÓ
संगठन के केन्द्रंीय महासचिव सिद्धाश्रमरत्न अजय अवस्थी जी ने कहा कि ”परम पूज्य गुरुवरश्री ने आप सभी लोगों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया है। आप सभी लोग नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् व चेतनावान् जीवन जीने के साथ ही पुरुषार्थ और परोपकारमय जीवन को अंगीकार करें। इसी में सच्चा सुख निहित है। सभी के अंदर संयम होना चाहिए। केवल पूजा-पाठ कर लेने से कुछ नहीं होता। साधक कौन है? जो अपने आपको साध ले; काम-क्रोध-लोभ-मोह को साध ले और जिसने स्वयं को साध लिया, वही सच्चे मायने में साधक है।ÓÓ
सिद्धाश्रम चेतना आरुणी जी ने कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय का आवाहन करते हुए कहा कि ”दिनांक 10-11 $फरवरी 2024 को बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में भगवती मानव कल्याण संगठन के द्वारा शक्ति चेतना जनजागरण शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें आप सभी लोग सपरिवार पहुँचकर गुरुवरश्री के अमृततुल्य चिन्तनों और दिव्य आरतियों का लाभ अवश्य लें।ÓÓ
उद्बोधनक्रम के पश्चात् सभी भक्तों ने शक्तिजल और प्रसाद प्राप्त किया।