काठमाण्डो, नेपाल। पशुपति मंदिर परिसर, सुमार्गी भवन, काठमाण्डो (नेपाल) में दिनांक 19-20 मई 2023 को आयोजित 24 घंटे के राष्ट्रस्तरीय श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ में भारत देश के मध्यप्रदेश में स्थित अध्यात्मिक तपस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से भगवती मानव कल्याण संगठन की केन्द्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन पूजा जी, केन्द्रीय महासचिव अजय अवस्थी जी, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन संध्या जी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौरभ द्विवेदी जी, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट की प्रधान न्यासी ज्योति जी, संगठन के केन्द्रीय महासचिव रजत मिश्रा जी, सिद्धाश्रम चेतनाएं आरुणी जी, अद्वैत जी और आत्रेय जी ने पहुंचकर धर्मसम्राट् युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज से नेपालवासियों के लिए प्राप्त आशीर्वाद की तरंगों को प्रवाहित करके पशुपति नाथ, महादेव की धरती को ‘माँÓमय कर दिया।
आयोजित दिव्य अनुष्ठान की समापन बेला पर शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न संध्या शुक्ला जी ने अपनी भावाभिव्यक्ति में कहा ”जिन माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की स्तुति देवाधिदेव भी करते हैं, उनकी आराधना करने का अवसर हमें पर एकसाथ बैठकर मिल रहा है, यह हमारा सबसे बड़ा सौभाग्य है। परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के निर्देशन में जगह-जगह ‘माँÓ के गुणगान के रूप में कराए जा रहे दिव्य अनुष्ठानों का उद्देश्य सनातन संस्कृति को स्थापित करने, समाज से जातिभेद, छुआछूत और बलिप्रथा को समाप्त करने के साथ ही नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी व परोपकारी समाज का निर्माण करना है।
आपने आगे कहा कि ”हमें यह जानना चाहिए कि इस धरती पर हमारा जन्म क्यों हुआ है? सद्गुरुदेव जी महाराज का कथन है कि हर मनुष्य के तीन अतिमहत्त्वपूर्ण कत्र्तव्य हैं-मानवता की सेवा, धर्म की रक्षा और राष्ट्र की रक्षा करना। हम जिस समाज में रहते हैं, उस समाज को नशे-मांसाहार से मुक्त करके चेतनावान् बनाना और दीन-दु:खियों की सहायता करना हम सभी का कत्र्तव्य है, इससे बड़ी मानवता की सेवा और कुछ हो ही नहीं सकती। दूसरा कत्र्तव्य है धर्म की रक्षा करना। हमारे धर्म की रक्षा कैसे होगी? जब हम अपने बच्चों को धर्मपथ पर बढ़ायेंगे और अपनी सनातन संस्कृति के अनुरूप उन्हें संस्कार देंगे। हर धर्म हमें परोपकार सिखाता है, लड़ाई-झगड़ा और वैमनस्यता कोई धर्म नहीं सिखाता और यह विचारधारा हमें जन-जन तक पहुँचाना है। तीसरा कत्र्तव्य है राष्ट्र की रक्षा करना। जिस राष्ट्र में हम रहते हैं, जहाँ के अन्न, जल का हम सेवन करते हैं, उस राष्ट्र की रक्षा करना भी हमारा परम कत्र्तव्य है। इन मानवीय कत्र्तव्यों को पूरा करने हेतु चेतनात्मकशक्ति मिले, इस हेतु अपने घरों में ‘माँÓ की ज्योति जलाएं और स्वयं का जीवन प्रकाशित करें।
सिद्धाश्रमरत्न सौरभ द्विवेदी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ”माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा और सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से नेपाल में 10 वर्ष पूर्व भगवती मानव कल्याण संगठन का गठन हुआ था और आज संगठन की सशक्त विचारधारा यहाँ तेजी के साथ पल्लवित हो रही है। मैं प्रणाम करता हूँ नेपाल की इस धरती को, जहाँ भगवान् श्रीराम का सम्बंध स्थापित हुआ था और मैं प्रणाम करता हूँ महादेव की इस धरती को, जहाँ पशुपति नाथ के रूप में वे विराजमान हैं। नेपालवासियों से हमारा धर्म का सम्बंध है और नेपाल की जो सनातन संस्कृति का धार्मिक इतिहास है, उसे हमें अक्षुण्य बनाए रखना है। यहाँ से हज़ारों लोगों ने सिद्धाश्रम जाकर नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् और चेतनावान् जीवन पाया है और माता जगदम्बे की साधना-आराधना से जुड़कर वे अपनी सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान में लगे हुए हैं। आप लोग भी सिद्धाश्रम पहुँचिये और ऋषिवर श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के दर्शन करिए, जिनके दर्शनमात्र से जीवन संवर जाता है।
सिद्धाश्रमरत्न रजत मिश्रा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ”निश्चित ही माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा से ही यह सुअवसर प्राप्त होता है कि हम एकसाथ बैठकर उनकी आरती कर सकें। आज से 26 वर्ष पूर्व हिन्दुस्तान के मध्यप्रदेश में पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम की स्थापना हुई और तबसे वहाँ श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ अनवरत अनन्तकाल के लिए चल रहा है। सिद्धाश्रम में प्रवाहित ‘माँÓ की दिव्य चेतनातरंगों व सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के तप का परिणाम है कि आज लाखों लोग नशे-मांसाहार से मुक्त होकरके चरित्रवान् जीवन अंगीकार करके आत्मकल्याण के साथ ही जनकल्याण के मार्ग पर अग्रसर हैं।
परम पूज्य गुरुवरश्री ने मानवता की सेवा के लिए भगवती मानव कल्याण संगठन का गठन किया है, जिसके कार्यकर्ता सतत जनकल्याणकारी कार्यों में लगे हुए हैं। संगठन के कार्यकर्ताओं को गौर से देखिए, उनके चेहरों पर एक अलग ही आभा नज़र आयेगी और उनके चेहरों पर चमक इसलिए बनी रहती है, क्योंकि वे नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जी रहे हैं और जनकल्याण को अपना लक्ष्य बना लिया है।
आपने आयोजित दिव्य अनुष्ठान में उपस्थित समस्त नेपालवासियों का आवाहन करते हुए कहा कि ”शारदीय नवरात्र पर पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में तृतीय चरण का महाशक्ति शंखनाद शिविर आयोजित है और यह कोई साधारण नहीं, अपितु एक दुर्लभ शिविर है। इस शिविर में आप सभी अपने स्वजनों और इष्टमित्रों के साथ पहुँचकर नशामुक्त जीवन के लिए सद्गुरुदेव जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त करें तथा युग परिवर्तन के कार्य में सहभागी बनें।
शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न पूजा शुक्ला जी ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ”हर व्यक्ति के जीवन में गुरु का बहुत बड़ा महत्त्व होता है। जब हम जन्म लेते हैं, तो हमारे माता-पिता हमारे गुरु होते हैं, इसके बाद हम शिक्षा ग्रहण करने के लिए विद्यालय जाते हैं, तो वहाँ के अध्यापक हमारे गुरु होते हैं और जब हमारे जीवन में अध्यात्मिक गुरु का पदार्पण होता है, तब हमारा वास्तविक जीवन शुरू होता है, क्योंकि अध्यात्मिक गुरु से हमें सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है, धर्म-अध्यात्म के पथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती है, कर्मवान बनने की प्रेरणा प्राप्त होती है, आत्मकल्याण और जनकल्याण करने की प्रेरणा प्राप्त होती है और सौभाग्य से ऐसे गुरु का हमारे जीवन में पदार्पण हो चुका है। अभी-अभी आप लोग यह नारा लगा रहे थे कि ‘गुरुवरश्री का यह संदेश, नशामुक्त हो सारा देश।Ó तो जीवन में एक अध्यात्मिक गुरु का होना बहुत ज़रूरी है।
किसी ने ठीक ही कहा है कि ”गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम। गुरु अध्यात्म की ज्योति है, गुरु है चारोंधाम।।
सिद्धाश्रमरत्न अजय अवस्थी जी ने सारगर्भित शब्दों में कहा कि ”बिना माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा के एक पत्ता भी इधर से उधर नहीं हिलता और यदि इतने लोग हिल गए हैं, अपने-अपने घरों से चलकर इस दिव्य अनुष्ठान में आगए हैं, तो यह ‘माँÓ की कृपा ही है। मैं तो यही कहूँगा कि ‘माँÓ की यह कृपा नेपालवासियों के ऊपर हमेशा बनी रहे। आइए नशामुक्त नेपाल, खुशहाल नेपाल के अपने संकल्प को चरितार्थ करें और जब तक पूरा नेपाल राष्ट्र नशामुक्त होकर खुशहाल नहीं होजाता, तब तक हमारा प्रयास जारी रहेगा।
मैं इतना अवश्य कहूँगा कि अन्यायी-अधर्मी अब संभल जाओ, क्योंकि भगवती मानव कल्याण संगठन का रथ चल चुका है और नशामुक्त, मांसाहारमुक्त, चरित्रवान् व चेतनावान् समाज का निर्माण होकर रहेगा।
उद्बोधनक्रम के उपरान्त इस दिव्य अनुष्ठान में उपस्थित सभी भक्तों ने शक्तिजल और प्रसाद ग्रहण करके जीवन को धन्य बनाया।