Sunday, November 24, 2024
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शक्तिस्वरूपा बहनें पूजा, संध्या और ज्योति जी ने हज़ारों गुरुभाई-बहनों की कलाइयों को रक्षासूत्र से किया अलंकृत

संकल्प शक्ति। अध्यात्मिक व सांस्कृतिक पर्व रक्षाबन्धन का हमारे भारत देश में विशेष महत्त्व है। यह ऐसा त्यौहार है, जिसमें भाई-बहनों का एक-दूसरे के प्रति स्नेह बरबस ही छलक पड़ता है। बहनें उत्साहपूर्वक भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं और चाहे सुख हो या दु:ख, हर परिस्थिति में वे एक-दूसरे का साथ देने का संकल्प लेते हैं।  

श्रावणी पूर्णिमा, दिनांक 30 अगस्त 2023, दिन बुधवार, भाई-बहनों के अटूट स्नेह के प्रतीक रक्षाबन्धन पर्व पर अध्यात्मिकस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम का वातावरण अतिमनोरम हो उठा था। इस पावन पर्व की पूर्व संध्या 29 अगस्त को ही शक्तिस्वरूपा बहनों के स्नेह की डोर से बंधे हज़ारों की संख्या में गुरुभाई-बहन सिद्धाश्रम पहुंच गए थे और 30 अगस्त की प्रात:कालीन बेला में, सर्वप्रथम मूलध्वज साधना मंदिर में नित्यप्रति सम्पन्न होने वाले साधनाक्रमों में सभी भक्त शामिल हुये और श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में परम पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के करकमलों से, माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की सम्पन्न होने वाली दिव्य आरती में शामिल होकर श्री दुर्गाचालीसा पाठ का वाचन किया। पश्चात् सभी शिष्यों-भक्तों ने सद्गुरुदेव महाराज जी के पावन श्रीचरणों में नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके उपरान्त, सभी ने क्रमबद्ध होकर शक्तिस्वरूपा बहनों पूजा जी, संध्या जी व ज्योति जी से अपनी कलाइयों पर रक्षासूत्र बंधवाकर अतिआनन्दित हुए। उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे कि सिद्धाश्रम में स्नेह की धारा प्रवाहित हो रही हो।

प्रात:काल 07:30 बजे का समय, शक्तिस्वरूपा बहनें प्रणाम भवन में पहुंचती हैं और वे एक-एक करके हज़ारों गुरुभाई-बहनों की कलाई पर राखी बांधकर अत्यन्त पुलकित हो रहीं थीं। पूजा जी, संध्या जी व ज्योति जी ने अपना आत्मीय स्नेह छलकाते हुये स्नेहासिक्त मृदुल मुस्कान के साथ गुरुभाई-बहनों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उन्हें आनन्दमय जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया। 

रक्षासूत्र बंधवाने के बाद सभी गुरुभाई-बहनों ने मिष्टान्न के रूप में जलेबी प्रसाद ग्रहण करके, इस पावन पर्व के पुन: आगमन की आस संजोये पूज्य दण्डी संन्यासी स्वामी श्री रामप्रसाद आश्रम जी महाराज की समाधिस्थल पर गये और वहाँ की परिक्रमा करके अपने जीवन को धन्य बनाया, साथ ही वहीं पर स्थित दानवीर बाबा के गुफास्थल पर जाकर उन्हें भी नमन किया। पश्चात् त्रिशक्ति गौ-शाला जाकर गौ-माताओं के दर्शनलाभ भी प्राप्त किये। इसके उपरान्त सभी ने सिद्धाश्रम में संचालित ‘माँÓ अन्नपूर्णा भंडारा परिसर में पंक्तिबद्ध बैठकर अत्यन्त हर्षित मन से भोजन प्रसाद ग्रहण करते हुए आपसी भाईचारे को और प्रगाढ़ बनाया।

पूरे देश में मनाया गया रक्षाबन्धन का पर्व

रक्षाबन्धन पर्व पूरे देश में हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया, लेकिन भौतिक जगत् में राखीबन्धन का पर्व कृत्तिमता के आवरण से युक्त था। बहुमूल्य देशी-विदेशी राखियों और कीमती उपहारों के आवरण ने पर्व के महत्त्व को कम सा कर दिया था, जबकि सिद्धाश्रम में राखीबन्धन की पावनता अद्वितीय थी।

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