नई दिल्ली। पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) ने आतंकी गतिविधियों के लिए चीन से भी फंड जुटाया। यह संगठन टेरर फंडिंग, सीएए विरोधी आंदोलन को उकसाने, दिल्ली दंगे को भड़काने जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहा है। ईडी ने पीएलएमए कोर्ट में दायर चार्जशीट में कहा है कि पीएफआइ सदस्य केए रऊफ शेरिफ का चीनी कनेक्शन है। रऊफ को गोपनीय ट्रेडिंग की आड़ में चीन से एक करोड़ रुपये मिले।
ईडी के मुताबिक रऊफ रेस इंटरनेशनल एलएलसी ओमान का कर्मचारी था। रेस इंटरनेशनल के चार निदेशक हैं। इनमें दो चीनी थे और दो केरल के एनआरआइ हैं। रऊफ 2019 और 2020 में चीन गया और अपने भारतीय बैंक खाते में धन प्राप्त किया।
सूत्रों के अनुसार, एक अन्य मामले में एसडीपीआइ (पीएफआइ की शाखा) के कलीम पाशा को जंपमंकी प्रमोशन इंडिया (पी) लिमिटेड नाम की एक चीनी कंपनी से पांच लाख रुपये मिले। पाशा बेंगलुरु दंगों में शामिल रहा है। ईडी ने कहा कि रऊफ शेरिफ ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य की उत्तरप्रदेश के हाथरस की यात्रा के लिए फंडिंग की थी।
ईडी ने जांच के दौरान 600 से अधिक घरेलू दानदाताओं और उनके बैंक खातों की जांच की। 2600 से अधिक लाभार्थियों के खातों को भी देखा। ईडी ने पाया कि इनमें से कई खाते फर्जी थे।
पीएफआइ के एक मंडल अध्यक्ष अब्दुल रज्जाक पर तलाशी अभियान के दौरान एक दस्तावेज मिला। इसमें विरोध की 151 विभिन्न शैलियों को दिखाया गया था। इसे कर्नाटक में हालिया हिजाब विरोध से स्पष्ट रूप से जोड़ा जा सकता है।