कानपुर। कानपुर के बेकनगंज क्षेत्र में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के तार पश्चिम बंगाल और मणिपुर से जुड़ रहे हैं। दंगे में चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का नाम भी सामने आ रहा है। कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा के अनुसार, पीएफआई ने 03 जून को पश्चिम बंगाल और मणिपुर में बाज़ार बंद का आह्वान किया था। इसी दिन कानपुर में जुमे की नमाज के बाद बाज़ार बंद कराने पर हिंसा भड़की। पीएफआई की फंडिंग से कानपुर का माहौल बिगाडऩे की कोशिश की गई है। इसलिए मुख्य आरोपियों के बैंक खातों के ट्रांजैक्शन की जांच की जा रही है। जिन 06 मोबाइलों को ज़ब्त किया गया है, उनका कॉल डिटेल खंगाला जा रहा है और आरोपियों से मिले कुछ अहम दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
लखनऊ में छिपे थे मुख्य आरोपी
03 जून की दोपहर 1:45 बजे यतीमखाना के पास की मस्जि़द में जुमे की नमाज अदा की गई। करीब 2.30 बजे लोग बाहर निकले और बाज़ार में खुली हुई दुकानों को बंद कराने लगे। हिंदू दुकानदारों ने दुकानें बंद करने से मना किया, कुछ अराजक तत्त्वों ने पथराव शुरू कर दिया। अपितु भीड़ को काबू करने के लिए 12 थानों का पुलिसबल बुलाना पड़ा। पुलिस ने कई राउंड फायर किए। लाठीचार्ज किया। 5 घंटे बाद उपद्रव थमा। इस उपद्रव में 12 से ज़्यादा लोग घायल हुए। आरोपियों के विरुद्ध बेकनगंज थाने में 03 एफआईआर दर्ज की गईं और पुलिस ने कानपुर हिंसा के मास्टरमाइंड हयात जफर, जावेद अहमद खान, मो. राहिन और मो. सूफियान को दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया। आरोपी जावेद लखनऊ के हजरतगंज में एशियन वायस पोस्ट यूट्यूब चैनल चलाता है और यहीं वह अपने साथियों के साथ छिपा हुआ था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर का माहौल खराब करने वालों पर एनएस और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाया जाएगा।
आरोपी जेल की सलाखों के पीछे पहुँचे
शनिवार की शाम को पुलिस ने हिंसा के मुख्य आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। पुलिस 14 दिन की रिमांड चाहती थी, लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया। हिंसा वाले क्षेत्र के दो कि.मी. दायरे में 1100 जवान सुरक्षा के लिए तैनात रखे गए हैं। कानपुर पुलिस ने बवाल के 12 घंटे के अंदर 24 आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल हुई है वहीं, वीडियो फुटेज की मदद से 36 आरोपियों की पहचान हो चुकी है।