Saturday, November 23, 2024
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पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में हुआ भक्तों और भक्ति का अनूठा संगम

संकल्प शक्ति। श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ का 26वाँ जयन्ती दिवस 15 अप्रैल 2023, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम में प्रवाहित दिव्यचेतनातरंगों का आभाष पल-प्रतिपल हो रहा था। धर्मसम्राट् युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आगन्तुक शिष्यों-भक्तों के साथ ही सिद्धाश्रमवासियों के उत्साह-उमंग की कोई सीमा न थी।

मध्यप्रदेश में शहडोल जि़ले के ब्यौहारी अनुविभाग क्षेत्रान्तर्गत ब्यौहारी से 07 किलोमीटर दूर रीवा रोड पर स्थित खामडाड़ पंचायत क्षेत्र में सिद्धाश्रम सरिता के तट पर स्थित पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम का वातावरण प्रवाहित अदृश्य चेतनातरंगों के प्रभाव तले अतिमनोरम हो उठा था। 

परम पूज्य गुरुवरश्री के द्वारा भटके हुए मनुष्यों के अन्दर इष्ट के प्रति आस्था का संचार करने के लिए ही धर्मधुरी के रूप में पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम की रचना करके अनन्तकाल के लिए श्री दुर्गाचालीसा का पाठ प्रारम्भ कराया गया है। आपश्री ने सम्पूर्ण चर-अचर जगत् की सृष्टा माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा को प्राप्त करने जैसे कठिन मार्ग को सुगम बनाया है।

श्री दुर्गाचालीसा पाठ के 26 वर्ष पूर्ण होने तथा 27वें वर्ष में प्रवेश करने पर पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के शिष्यों व ‘माँ’ के भक्तों ने नित्यप्रति की तरह ब्रह्ममुहूर्त में पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ मूलध्वज साधना मंदिर में साधनात्मक क्रमों व माता जगदम्बे और परम पूज्य गुरुवरश्री की आरती का लाभ लेने के उपरान्त, श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में अतिप्रसन्न मन से ‘माँ’ का गुणगान करने के पश्चात् सद्गुरुदेव जी महाराज के श्रीचरणों को स्पर्श करने का सौभाग्य प्राप्त किया।

परम पूज्य गुरुवरश्री के शान्त, सौम्य दिव्यस्वरूप और उनकी महिमा के बारे में एक-दूसरे से चर्चा करते हुए सभी भक्तों ने दिन के समय अन्नपूर्णा भंडारा परिसर में भोजन प्रसाद प्राप्त किया और सायंकालीन बेला में भी आरतीक्रम में सम्मिलित होने के बाद गुरुवरश्री को प्रणाम करके, गाय के शुद्ध घी व सूजी से निर्मित हलुआ प्रसाद प्राप्त करके धन्य हुए। तत्पश्चात्, अन्नपूर्णा भंडारा परिसर में रात्रिकालीन सुस्वादु सात्विक भोजन तृप्तिपूर्वक ग्रहण किया।

विदित हो कि सिद्धाश्रम सरिता के तट पर स्थित पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में विगत 26 वर्षों से श्री दुर्गाचालीसा का अखण्ड पाठ अनन्तकाल के लिए अनवरत चल रहा है। चाहे मूलध्वज साधना मंदिर हो या श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर या फिर पूज्य दण्डी संन्यासी स्वामी रामप्रसाद आश्रम जी महाराज का समाधिस्थल अथवा दानवीर बाबा का गुफास्थल, कहीं पर भी शांतचित्त होकर बैठ जायें, आपका मन संसारिक माया से विरत होकर अध्यात्मिकचिंतन से प्लावित होगा।

गौरतलब है कि भारतवर्ष में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल में भी भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ता अभी तक लाखों स्थानों पर 24 घंटे व 05 घंटे के श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ के क्रम तथा आरतीक्रम करवा चुके हैं। इन क्रमों के माध्यम से दिव्य अनुष्ठानों में शामिल होने वाले भक्तों को भी यहाँ आश्रम में चल रहे श्री दुर्गाचालीसा पाठ क ी ऊर्जा अपने गृहक्षेत्र में ही प्राप्त हो रही है। सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से अब तक करोड़ों लोग नशे-मांसाहार से मुक्त होकर चरित्रवान् व चेतनावान् जीवन अपनाकर पुरुषार्थ व परोपकार के मार्ग पर बढ़ चुके हैं, जिससे उनके जीवन में भी सुख-शांति का प्रादुर्भाव हुआ है। 

अनन्तकाल तक के लिये चल रहे श्री दुर्गाचालीसा पाठ से उत्सर्जित चेतनातरंगों को सम्पूर्ण चर-अचर जगत् में व्याप्त करने हेतु परम पूज्य गुरुवरश्री के द्वारा 15 जुलाई 2011 को गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर विशाल चालीसा पाठ मन्दिर के निर्माण हेतु जिस स्थल पर भूमि पूजन किया गया था, उस स्थल पर मंदिर निर्माण का कार्य शारदीय नवरात्र 2013 से प्रारम्भ होकर अपने पूर्णस्वरूप की ओर अग्रसर है, जहाँ हज़ारों लोग एकसाथ बैठकर माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की स्तुति कर सकेंगे और आने वाले समय में यह धर्मधुरी, यह शक्तिपीठ भारतवर्ष ही नहीं, वरन् विश्व की मानवता को धर्म, शांति और समृद्धि का संदेश देगा। 

सच्चे मन से ‘माँ को पुकारो तो सही

सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के अमृततुल्य चिन्तनों को आत्मसात करके उस पथ पर चलेें, अपने धर्म, धैर्य और पुरुषार्थ का कभी त्याग न करें। यदि मौत भी सामने आजाए, तो भी पतन के मार्ग को न पकड़ें। आपश्री का कथन है कि  ”आज लोग एन-केन-प्रकारेण, छल से, कपट से, दूसरों के अधिकारों का हनन करके चाहे जैसे भी हो, अधिकाधिक धनार्जन में जुटे हुए हैं। परिणामस्वरूप माँ-बेटे, पिता-पुत्र, भाई-बहनों के बीच सद्भाव समाप्त हो चुका है। कल तक जो सम्बन्धी थे, मित्र थे और एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे, आज शत्रु बने हुए हैं। अरे, धन के पीछे इतना मत भागो कि अनीति-अन्याय-अधर्म के रास्ते का चयन करना पड़े और जीवन कंटकों से घिर जाए! 

सच्चे मन से ‘माँ को पुकारो तो सही, अपने अन्दर सत्य को, प्रकाश को स्थान देकर तो देखो, निरोगी व चेतनावानों का जीवन जीने लगोगे। एक बार अपने आत्मारूपी पुष्प को पल्लवित करके तो देखो, उसकी सुगन्ध से पूरा जीवन महक उठेगा।

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