Saturday, November 23, 2024
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खाद्यपदार्थों के बढ़ रहे मूल्यों से आम जनजीवन प्रभावित

संकल्प शक्ति। खाद्य पदार्थों के बढ़ते मूल्यों के कारण आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है, लेकिन सब्जि़यों के मूल्यों में आंशिक गिरावट से कुछ राहत महसूस की जा सकती है।

 यदि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों की ही मानें तो चावल का दाम 36.16 रुपये किलो से बढ़कर 39.49 रुपये किलो, गेहूं की कीमत 27.51 रुपये से बढ़कर 29.09 रुपये और आटा की कीमत 31.31 से बढ़कर 34.31 रुपये किलो पर पहुंच गई है। चना दाल का दाम 73.95 से बढ़कर 74.68 रुपये, उड़द दाल का दाम 105.09 से बढ़कर 110.58 रुपये किलो हो गया है। इसी तरह मूंगदाल की कीमत 102.80 रुपये से 109.16 रुपये, चीनी की कीमत 41.75 से बढ़कर 42.62 रुपये और मूंगफली तेल की कीमत 186 से बढ़कर 190 रुपये पर पहुंच गई है। यह कीमतें पूरे देश में औसत आधार पर हैं।

सब्जि़यों के मूल्य गिरने से राहत

 आंकड़े बताते हैं कि, दो जून  2023 को आलू की कीमत प्रति किलो 21.33 रुपये थी, जो एक साल पहले 24.12 रुपये थी। प्याज का दाम 23.81 से घटकर 22.34 रुपये, चाय की कीमत 284.21 से घटकर 275.61 रुपये और टमाटर की कीमत 52 रुपये किलो से कम होकर 25 रुपये किलो पर आ गई है। इसी तरह खाद्यतेलों की कीमतों में भी कुछ कमी आई है, जिससे काफी राहत की उम्मीद है।

तय हुई दाल भंडारण की सीमा

केंद्र सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, आयातकों और मिलों के लिए अक्टूबर तक अरहर और उड़द दाल के भंडारण की सीमा तय कर दी है। जमाखोरी रोकने और भारतीय खान पान के अहम हिस्सा इन उत्पादों की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है जो तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गया है।

आदेश के मुताबिक, थोक विक्रेताओं के लिए अरहर और उड़द प्रत्येक की 200 टन और खुदरा विक्रेताओं और खुदरा दुकानों के लिए 05 टन स्टॉक रखने की सीमा तय की गई है। बड़ी शृंखला वाले खुदरा विक्रेता अपने डिपो में प्रत्येक का 200 टन तक भंडारण कर सकते हैं। मिलों के लिए उनके आखिरी तीन महीने के उत्पादन या वार्षिक संस्थापित क्षमता के 25 प्रतिशत में से जो भी अधिक है, उतने के भंडारण की सीमा निर्धारित की गई है।

इसी तरह आयातकों को सीमा शुल्क से निकासी के बाद 30 से अधिक समय तक स्टॉक रखने की अनुमति नहीं होगी। भंडारण सीमा का यह आदेश 31 अक्टूबर तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए है। 

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