नई दिल्ली। 2017 में मनोवैज्ञानिक जीन ट्वेंगे ने कहा था कि दुनिया में मेंटल हेल्थ क्राइसिस बढ़ता जा रहा है। डिप्रेशन और एंग्जाइटी रेट भी बढ़ रहा है। उन्हें लगता था कि इसकी वजह स्मार्टफोन और सोशल मीडिया हैं। अब 06 साल बाद ट्वेंगे ने अपनी बात और रिसर्च साबित करने के लिए नया डेटा पेश किया है। उन्होंने अपनी नई किताब जेनरेशन्स में इसका जिक्र किया है।
सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी में जेनरेशनल ट्रेंड स्टडी करने वाली मनोवैज्ञानिक जीन ट्वेंगे ने 2017 में टीनएजर्स की मेंटल हेल्थ से जुड़े 1930 से 2012 तक के डेटा पर रिसर्च की थी। जिसके बाद उन्होंने कहा था कि 2012 में ज़्यादातर अमेरिकियों के पास स्मार्टफोन था। इसी दौरान अकेलेपन का रेट भी बढ़ा था। इसके बाद से टीनएजर्स की सोशल मीडिया वाली लत और डिप्रेशन को लेकर सवाल उठने लगे।