नई दिल्ली। देश के कृषि निर्यात में उच्च स्तर पर बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय देखी जा रही है, जब पूरा देश कोरोना महामारी के कारण विभिन्न चुनौतियों से लड़ रहा था और पूरा देश बंद था, तब भी हमारी कृषि उत्पादों में वृद्धि पाई गई। इस उपलब्धि पर वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने रविवार को कहा कि वाणिज्य विभाग द्वारा भारत को दुनिया के लिए खाद्य टोकरी में बदलने के लिए उठाए गए कई कदमों के माध्यम से कृषि निर्यात के 50 अरब अमरीकी डालर के उच्चतम अंक तक पहुंचने की उपलब्धि हासिल की गई।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पिछला उच्चतम चिह्न 2013-14 में 43 बिलियन अमरीकी डालर था, जिसके बाद निर्यात में एक प्रकार की गिरावट देखी गई और 2016-17 तक इस आंकड़े में 10 बिलियन अमरीकी डालर की कमी आई, जिसके बाद वाणिज्य विभाग ने कृषि निर्यात में कमी के कारणों की पहचान की और बुनियादी ढांचे में सुधार किया करते हुए किसानों को ज़ागरूक किया गया।
अधिकारियों ने कहा, वाणिज्य विभाग ने विदेशों में भारतीय मिशनों के माध्यम से और वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठकों के माध्यम से बातचीत की और कई बाधाओं को दूर किया, बंदरगाह या सीमा शुल्क या राज्य या जि़ला अधिकारियों आदि के साथ समन्वय किया,, ताकि बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा किया जा सके।
इसके अलावा नए बाज़ारों की पहचान करने, मौजूदा बाज़ारों में पदचिह्न बढ़ाने, नए बाज़ारों की आवश्यकताओं और टैरिफ संरचना का विश्लेषण करने आदि के लिए कदम उठाए गए।
सरकार के प्रयासों के कारण 2021-22 में भारत ने चावल में लगभग 10 बिलियन अमरीकी डालर का निर्यात किया, जिसमें दुनिया के चावल निर्यात में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही थी। समुद्री उत्पादों (8 बिलियन अमरीकी डॉलर), चीनी (4.5 बिलियन अमरीकी डॉलर), गेहूं (2 बिलियन अमरीकी डालर) और काफी (एक बिलियन अमरीकी डॉलर) का अब तक का सबसे अधिक निर्यात हुई, 4 बिलियन अमरीकी डालर डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद निर्यात, 4 बिलियन अमरीकी डालर मसाले निर्यात और 3 बिलियन अमरीकी डालर कपास निर्यात हुआ।