अखिल भारतीय कार्यकर्ता बैठक को सम्बोधित करते हुए भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी ने वेद-शास्त्रों का उद्धरण देकर सारगर्भित शब्दों में कहा कि ”एक चेतनावान् गुरु के दर्शन प्राप्त होना किसी तीर्थ से कम नहीं है और जिस पर ऐसे गुरु की कृपादृष्टि पड़ जाए, फिर तो कहना ही क्या? परम पूज्य गुरुवर ने अपने चिन्तन से हम सभी के हृदय में व्याप्त रहे अंधकार को दूर किया है। श्रीमद्भागवत में दृष्टांत आता है कि मोह के वशीभूत दुविधा में फंसे अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण ने आत्मज्ञान देकर धर्मयुद्ध के लिए प्रेरित किया, जिससे अनीति-अन्याय-अधर्म का नाश होकर सत्यधर्म की स्थापना हुई।
सद्गुरु के जीवन में आ जाने से जीवन के सभी अभाव समाप्त हो जाते हैं, यह ज्ञान हमें ज्योतिष शास्त्र देता है। ज्योतिष कहता है कि सभी ग्रहों का प्रभाव मनुष्य जीवन पर पड़ता है और जब किसी व्यक्ति के जीवन पर बुध, गुरु, शनि या अन्य ग्रह प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, तो उस व्यक्ति को नाना प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है, तो ऐसी स्थिति में सदाचरण वाले व्यक्ति से सम्बंध बना लो, ग्रह अनुकूल हो जायेंगे। जबकि, एक चेतनावान् सद्गुरु के आधीन सभी नौ ग्रह होते हैं और यदि गुरु बना लिया, तो ग्रहों का दुष्प्रभाव समाप्त होने में देर नहीं लगेगी। गुरुवर से सम्बंध जुडऩे के बाद हमें सभी वेद-शास्त्रों का सार प्राप्त हुआ है और गुरुवर से हमने जो प्राप्त किया है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। विचार कीजिए कि गुरुवर से जुडऩे से पहले आपका जीवन कैसा था और आज कैसा है? तो क्या आप नहीं चाहते कि समाज का भी उत्थान हो।
हमारे अन्दर हनुमान जी की तरह विनम्रता, बुद्धिबल, समर्पण, निर्णय लेने की क्षमता और शौर्य होना चाहिए। हनुमान जी जब लंका गए, तो माता सीता के समक्ष अतिविनम्रता धारण किए हुए सूक्ष्मरूप बनाकर पहुँचे और विशालरूप धारण करके रावण की लंका को जलाया। इस सम्बंध में श्रीरामचरितमानस में उल्लेख है ‘सूक्ष्मरूप धरि सियहिं दिखावा, विकटरूप धरि लंक जरावा।’ और जब माता सीता जी का समाचार लेकर वे अपने आराध्य श्रीराम के पास पहुंचे, तो उनके शौर्य की सर्वत्र प्रशंसा हो रही थी, लेकिन हनुमान जी अपने शौर्य का सारा श्रेय प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद को दे रहे थे। अत्यन्त विशेष बात यह कि असंभव से असंभव कार्यों में भी जब हनुमान जी ने विजय प्राप्त की, तब भी प्रत्येक सफलता का श्रेय यह कहकर अपने आराध्य श्रीराम को समर्पित कर दिया ‘सो सब तव प्रताप रघुराई…।’
गर्व से कहो कि हमें ऐसे गुरु मिले हैं, हमारे आराध्य ऐसे हैं, जिन्होंने अज्ञानान्धकार को दूर करके हमारे जीवन में प्रकाश भर दिया है, गर्व से कहो कि हम सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के शिष्य हैं, गर्व से कहो कि हम भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ता हैं और इस भाव को लेकर अपने-अपने क्षेत्रों में जाइए।”
चिन्तन, निर्देशन के उपरान्त नवनियुक्त टीमप्रमुखों को पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट की प्रधान न्यासी शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न ज्योति शुक्ला जी ने समाज के बीच जन-जन में चेतना का संचार करने के लिए, दिव्य अनुष्ठान 24-24 एवं 05-05 घण्टे के श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ एवं आरतीक्रम सम्पन्न कराए जाने हेतु ‘माँ’-गुरुवर की छवियों को वितरित किया।
अंत में सभी कार्यकर्ताओं ने एकाग्रभाव से गुरुमंत्र और चेतनामंत्र का पाँच-पाँच बार उच्चारण किया, फिर परम पूज्य गुरुवरश्री की चरणपादुकाओं को नमन करके प्रसन्नतापूर्वक अन्नपूर्णा भोजनालय की ओर प्रस्थित हुए।