मेरठ। पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मौसम में गुलाबी ठंडक आते ही विदेशी परिंदों की चहचहाहट से मेरठ की हस्तिनापुर सेंचुरी गूंजने लगी है। यहाँ विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। गंगा के किनारे और हिमालय की तराई क्षेत्र होने के कारण विदेशी मेहमान हर साल सर्दियों में यहाँं आकर अपना आशियाना बनाते हैं।
हर साल सर्दी का मौसम आने के साथ ये विदेशी मेहमान हस्तिनापुर वेटलैंड में आकर बसेरा लेते हैं। पक्षी यहीं मैटिंग कर अपना परिवार बढ़ाते हैं। लगभग 04 महीने रहकर मौसम में गर्माहट आने के साथ ये फिर से वापस अपने वतन लौट जाते हैं। मेरठ में हर साल यूरोप, अमेरिका और साइबेरिया से हज़ारों किलोमीटर का लंबा सफर तय कर विदेशी परिंदे आते हैं।
हैदर झील है मुख्य पड़ाव
मेरठ हस्तिनापुर में गंगा किनारे काफी अच्छा वैटलैंड है। इसमें हज़ारों प्रकार के कीट पनपते हैं, जो इन विदेशी पक्षियों के भोजन का अच्छा स्रोत हैं। गंगा किनारे ये पक्षी मेरठ, मुजफ्फरनगर और बिजनौर सहित पाँच जि़लों में आते हैं। मुख्य पड़ाव बिजनौर बैराज के पास स्थित हैदर झील है। हस्तिनापुर सेंचुरी के मखदूमपुर, चेतवाला घाट और भीमकुंड झील क्षेत्र में रहकर ये परिवार बढ़ाते हैं।
मिलता है पसंदीदा भोजन
अक्टूबर के अंत से जब चीन, रूस, साइबेरिया और दूसरे देशों में अधिक ठंड पडऩे लगती है, तो ये देश बर्फ की चपेट में आ जाते हैं, जिससे यहाँ पक्षियों के लिए भोजन की कमी हो जाती है।
ऐसे में ये पक्षी भारत का रुख करते हैं। इन पक्षियों को यहाँ अपना पसंदीदा भोजन, झील में दर्जन भर किस्म की घास और दलदल में कीड़े मिलते हैं। इन पक्षियों के आने से वन्य जीव विहार का प्राकृतिक सौंदर्य और भी अनुपम हो गया है।
पहुँचे बीस प्रजातियों के विदेशी पक्षी
20 प्रजातियों के विदेशी पक्षियों का झुंड सेंचुरी में डेरा जमाने पहुंच गया है। इसमें पाइड एवोसेट, काटन टील, गेडवेल, मलार्ड, नोर्दन स्वालर और नोर्दन पिंटेल प्रमुख हैं। स्पून बिल, ब्लेक नेक्ड स्ट्रोक, यूरोशियन कर्लीव और सुरखाब सहित लगभग 50 प्रजातियों के पक्षी भी जल्दी ही आने वाले हैं। हेडिड गीज, ग्रे लेग गीज आदि पक्षी चीन और रूस देशों से यहाँ आते हैं।