Saturday, November 23, 2024
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पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना भारत, लेकिन देश को मिला क्या?

संकल्प शक्ति। सकल घरेलू उत्पाद यानी (जीडीपी) के मामले में हमारा देश भारत, विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के आंकड़ों के आधार पर निकाला गया है। देखने में तो यह एक शानदार स्थिति लग रही है, लेकिन कुपोषण जैसे कई मोर्चे पर देश की स्थिति अति गम्भीर है। इसी तरह मंहगाई भी बढ़तेक्रम में है। यदि भारत सरकार इन पर नियंत्रण पाने में अक्षम है, तो फिर बड़ी अर्थव्यवस्था में अपना नाम दजऱ् कराने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता। बढ़ते कुपोषण की दर व बढ़ती मंहगाई के कारण देश की छवि धूमिल हो रही है।

गौरतलब है कि ब्रिटेन को पछाड़कर हमारे देश ने पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अपना नाम दजऱ् कराया है, जबकि बढ़ते कुपोषण और मंहगाई के कारण देश की शीर्षसत्ता पर अनेक प्रश्नचिन्ह लग रहे हैं।

प्राप्त सूत्र बतलाते हैं कि भारत की आबादी, ब्रिटेन की कुल आबादी से तीन गुना अधिक कुपोषित है। पोषण के मानकों के आधार पर कुपोषितों को पोषण नहीं मिल रहा है, लोगों को ढंग का खाना नहीं मिल रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी है।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन के मानकों को जोड़कर ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स तैयार किया जाता है। इस मानक पर कुपोषण मामले में ब्रिटेन दुनिया के 189 देशों के बीच 13 वें पायदान पर है, जबकि भारत दुनिया के 189 देशों के बीच 131 वें पायदान पर है।

ब्रिटेन की आबादी लगभग पौने सात करोड़ है और भारत की आबादी इस समय लगभग 138 करोड़ है। विश्लेषकों के अनुसार, भले ही भारत विश्व की पाँचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया हो, लेकिन समृद्धि के मामले में ब्रिटेन से बीस गुना पीछे हैं। ब्रिटेन में प्रति व्यक्ति आय 45 हज़ार डालर से ऊपर है, जबकि भारत में यदि पूँजीपति घरानों को छोड़ दिया जाए, तो ब्रिटेन की तुलना में प्रतिव्यक्ति आय न के बराबर है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत दुनिया के 194 देशों के बीच 144 वें पायदान पर है और एशिया के देशों के बीच भारत 33वें पायदान पर है।

सरकारी आंकड़े की मानें तो…

ताजा सरकारी आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत में कुपोषण का संकट गहरा गया है। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस समय 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं और इनमें से आधे से ज़्यादा यानी कि 17.7 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे सबसे अधिक महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, असम और तेलंगाना में हैं। इस बात की जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक एजेंसी को आरटीआई के जवाब में दी है। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि दुनिया के सबसे जाने माने शहरों में गिनी जाने वाली राष्ट्र्रीय राजधानी दिल्ली में भी एक लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं।

22 करोड़ भारतीयों को भरपेट खाना नहीं

यूएन की ‘द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वल्र्ड 2022 रिपोर्टÓ के अनुसार 2019 के बाद लोगों का भूख से संघर्ष तेजी से बढ़ा है। 2021 में दुनिया के 76.8 करोड़ कुपोषण का शिकार पाए गए, इनमें 22.4 करोड़ (29 प्रतिशत) भारतीय थे। यह दुनियाभर में कुल कुपोषितों की संख्या के एक चौथाई से भी अधिक है।

दूध, दाल, गेंहूँ, चावल व सब्जी के उत्पादन में अग्रणी, फिर भी

ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2021 के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है। दूध, दाल, चावल, सब्जी और गेहूं उत्पादन में दुनिया में पहले स्थान पर हैं। फिर भी लोग पौष्टिक भोजन के लिए तरस रहे हैं और कुपोषण के शिकार हैं। देश की बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार है।

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