Saturday, November 23, 2024
Homeऋषिवाणीवह मानव, मानव नहीं, जो अपनी मूलसंस्कृति को भूल जाए -सद्गुरुदेव श्री...

वह मानव, मानव नहीं, जो अपनी मूलसंस्कृति को भूल जाए -सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज

भारतीय संस्कृति की पुनस्र्थापना एवं मानवीयमूल्यों की रक्षा के लिये सतत प्रयासरत ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज का चिन्तन है कि ”भौतिकतावाद की आंधी में आत्मिक आनन्द की अनुभूति समाप्त होती जा रही है और समाज के लोगों के पास इतना समय नहीं है कि  इस आंधी को ठहराव देकर अपनी मूलसंस्कृति के लिये कुछ समय निकाल सकें। ध्यान, योग और ‘माँ’ की स्तुति के बल पर सोई हुई अन्तश्चेतना को जाग्रत् करके अपनी अस्मिता को वापस लाना होगा, अन्यथा भरसक प्रयास कर लें, किनारा मिलना सम्भव नहीं। वह मानव, मानव नहीं, जो कि अपनी मूलसंस्कृति को, माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा (मूल प्रकृतिसत्ता) को भूल जाये। विकास के अन्धानुकरण में हम अपनी अस्मिता, आत्मनिर्भरता व आत्माभिव्यक्ति को भूलते जा रहे हैं, मानव होकर मानव की परिभाषा भूल चुके हैं और यह विशाल परक अमूल्य जीवन निजी स्वार्थ तक सीमित होकर रह गया है।

प्रकृतिसत्ता ने हमारे शरीर में आत्मारूपी अंश को स्थापित की है, साधना क्रमों के बल पर सतोगुणी कोशिकाओं को जाग्रत् करने की ज़रूरत है। इस अन्तर्निहित शक्ति के बल पर आप अधकचरे आधुनिकता से उभरकर, आधुनिक विज्ञान के ऐसे अविष्कारों को जो विकास कम और विनाश परक अधिक हैं, उससे कहीं अधिक विशिष्ट रचना करके समाज के लिये सही विकास का रास्ता प्रशस्त कर सकते हैं। गुलामी की मानसिकता से युक्त जीवन जीने वाले समाज के अधिसंख्यक वर्ग को आत्मसम्मानयुक्त, आत्मनिर्भरता का रास्ता प्रशस्त कर सकते हैं।’’

सद्गुरुदेव भगवान् के चिन्तन अमूल्य हैं, जो इन्हें आत्मसात कर लेता है, उसका जीवन धन्य होजाता है। जीवन के विविध रंग-रूप हैं और यदि गहराई से देखा जाये, तो इसमें अद्भुत आनंद छिपा हुआ है। जरूरत है, तो केवल भौतिक जगत् की भूल-भुलैयों से निकलकर कुछ समय अध्यात्मिक जगत् में प्रवेश करने की। फिर देखिये कि किस तरह काम, क्रोध, लोभ, मोह, नियंत्रित होकर आन्तरिक आनन्दानुभूति की प्राप्ति होती है।

प्रस्तुति- अलोपी शुक्ला

कार्यकारी सम्पादक: संकल्प शक्ति

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

आगामी कार्यक्रमspot_img

Popular News