Saturday, November 23, 2024
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माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा का एक सौम्य अवतार हैं शाकम्भरी देवी

माता शाकम्भरी देवी का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन सिद्धपीठ उत्तरप्रदेश के सहारनपुर मे है। ये माँ वैष्णो देवी, चामुंडा, कांगड़ा वाली, वाला, चिंतपूर्णी, कामाख्या, शिवालिक पर्वत वासिनी, चंडी, बाला सुंदरी, मनसा, नैना और शताक्षी देवी कहलाती है। माँ शाकम्भरी ही रक्तदंतिका, छिन्नमस्तिका, भीमादेवी, भ्रामरी और श्री कनकदुर्गा है। माता शाकंभरी के देश मे अनेक पीठ हैं, लेकिन प्रमुख और प्राचीन शक्तिपीठ केवल एक ही है, जो सहारनपुर के पर्वतीय भाग मे है। यह मंदिर उत्तर भारत के सबसे अधिक देखे जाने वाले मंदिरों मे से एक है और उत्तर भारत मे वैष्णो देवी के बाद दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इसके अलावा दो मंदिर और भी हैं। शाकम्भरी माता राजस्थान को सकरायपीठ कहते हैं जोकि राजस्थान मे है और सांभर पीठ भी राजस्थान मे है। वर्तमान मे उत्तर भारत की नौ देवियों मे शाकम्भरी देवी का नौंवा और अंतिम दर्शन होता है। वैष्णो देवी से शुरू होने वाली नौ देवी यात्रा मे माँ चामुण्डा देवी, माँ वज्रेश्वरी देवी, माँ वाला देवी, माँ चिंतपुरणी देवी, माँ नैना देवी, माँ मनसा देवी, माँ कालिका देवी, माँ शाकम्भरी देवी सहारनपुर आदि शामिल हैं। नौ देवियों मे माँ शाकम्भरी देवी का स्वरूप सर्वाधिक करूणामय और ममतामयी माँ का है।

‘अथान्यदस्ति देवेशि पीठं प्रत्यकारकम। शाकम्भरी यत्र जाता मुनिना त्राणकारणात। तस्य पीठं परम पीठ सर्वपाप प्रणाशनाम गत्वा शाकम्भरी पीठे नत्वा शाकम्भरी तथा। शाकम्भरीति विख्याता सर्वकामेश्वरी तथा। तस्यां सदर्शनादेव सर्वपापै प्रमु’यते। शाकेश्वरो महादेव प्रत्यक्ष सिद्धिदायक:। पुरात्रैव महादेवी मुनिस्तपसी चाश्रिताम। विग्रहे शतवार्षिके शाकैं स्वांगसमुद्भवे। भरयामास परमा तत: शाकम्भरी माता। प्रत्यक्षसिद्धिदा देवी दर्शनात्पापनाशिनी।।

स्कंद पुराण के उपरोक्त श्लोकों मे शाकम्भरी क्षेत्र और शाकेश्वर महादेव की प्रत्यक्ष महिमा बताई गई है। जोकि शिवालिक पर्वतमाला मे स्थित शाकम्भरी क्षेत्र है। तीनों पीठों का सम्बन्ध शिवालिक पर्वतमाला पर विराजमान शाकम्भरी देवी से है इसकी गणना प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों मे होती है यहाँ सती का शीश गिरा था। पुराणों में इस देवी पीठ को शक्तिपीठ, परमपीठ, महाशक्तिपीठ और सिद्धपीठ कहा गया है। मुख्य प्रतिमा के दायीं और भीमा एवं भ्रामरी तथा बायीं और शताक्षी देवी की प्राचीन प्रतिमायें विराजमान हैं और पास ही प्रथम पुय विघ्नहर्ता गणेश जी विराजमान हैं।

उत्तर भारत की नौ देवी यात्रा मे सबसे अंत मे माँ शाकम्भरी देवी का ही नौवां दर्शन होता है और इनके दर्शन पूजन से अन्न, फल, धन, धान्य और अक्षय फल की प्राप्ति होती है। माँ शाकम्भरी देवी जी सहारनपुर की अधिष्ठात्री देवी हैं और सहारनपुर मे विराजमान माँ शाकम्भरी देवी मंदिर उत्तर भारत का सबसे बड़ा सिद्धपीठ है।

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