अलीगढ़। परंपरागत यूरिया के अधिक प्रयोग से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम होती जा रही है और हर बार पहले से अधिक यूरिया का उपयोग करना पड़ता है। इससे किसान से लेकर सरकार चिंतित हैं। ऐसे में उत्पादन और धरती की सेहत को देखते हुए नैनो यूरिया (तरल) से खेती में क्रांति आयेगी। शनिवार को जनपद के विभिन्न स्थानों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुजरात के गांधीनगर में कलोल स्थित नैनो यूरिया (तरल) के निर्माण संयंत्र के लोकार्पण समारोह में प्रधानमंत्री ने यूरिया के लाभ गिनाकर किसानों का दिल जीता तो वहीं यूरिया खरीदने के लिए होने वाली परेशानियों का जिक्र किया।
क्या लाभ है नैनो यूरिया से?
किसानों को नैनो यूरिया की 500 मिलीलीटर की बोतल 240 रुपये में उपलब्ध है और एक बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर उपयोगी है। परंपरागत यूरिया से होने वाले मृदा प्रदूषण में कमी आएगी। साथ ही बिना उपज प्रभावित किए यूरिया या अन्य नाइट्रोजनयुक्त उवर्रकों की मात्रा में कटौती होगी और किसानों को परिवहन पर अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा।
प्रयोग की विधि
नैनो यूरिया की 2-4 मिली मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल में छिड़काव करें। नाइट्रोजन की कम आवश्यकता वाली फसलों में चार मिली लीटर तक नैनो यूरिया प्रति लीटर की दर से पत्तियों पर छिड़काव किया जा सकता है।