संकल्प शक्ति। पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम के 28वें स्थापना दिवस, 23 जनवरी 2024 की प्रात:कालीन बेला, अत्यन्त ही मनोरम दृश्य था। हज़ारों की संख्या में सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के शिष्य व भक्तगण साधनात्मक परिवेश से अलंकृत होकर मूलध्वज साधना मंदिर पहुंचे और दिव्य साधनाक्रमों व आरती का लाभ प्राप्त किया। तत्पश्चात् 06:30 बजे श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर में आरतीक्रम के बाद 07:00 बजे मूलध्वज साधना मंदिर में नवीन शक्तिध्वज का रोहण किया गया एवं वहाँ परम पूज्य गुरुवरश्री ने ‘माँ’ की पूजा-अर्चना का क्रम सम्पन्न किया तथा मंदिर के मुख्य घण्टे में चुनरी बांधी। इस अवसर पर पूजनीया शक्तिमयी माता जी और शक्तिस्वरूपा बहनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। मूलध्वज साधना मंदिर में पूजनक्रम के पश्चात् सभी भक्तों ने क्रमबद्ध रूप से गुरुवरश्री के चरणों को नमन करते हुये आशीर्वाद प्राप्त किया।
ज्ञातव्य है कि पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम की स्थापना को 27 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और इस दिव्यधाम की स्थापना दिवस के गौरवशाली अवसर पर भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में प्रतिवर्ष 23 जनवरी को विविध मनभावन कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर बच्चों व युवाओं के स्वास्थ्य एवं चेतनाशक्ति के विकास के लिये सिद्धाश्रम में खेलकूद व गीत-संगीत के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इतना ही नहीं, योगभारती विवाह पद्धति से सामूहिक विवाह कार्यक्रम भी विधि-विधान के साथ सम्पन्न कराया जाता है।
दौड़ प्रतियोगिता प्रारम्भ होने से पूर्व दर्शकदीर्घा में बैठे जनसमुदाय को आशीर्वाद प्रदान करते हुए परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा कि ”27 वर्ष पूर्व आज ही के दिन इस पवित्र स्थल पर ‘माँ’ का मूलध्वज फहराया गया था और तब से यहाँ ‘माँ’ की साधना, अनुष्ठान और श्री दुर्गाचालीसा का अखण्ड पाठ अनवरत चल रहा है। इतना ही नहीं, तीनों धाराओं के माध्यम से जनकल्याण का सतत प्रवाह चल रहा है, जिससे देश के करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन आया है। इस दिव्यधाम से अनेक साधना, अनुष्ठान और शक्ति चेतना जनजागरण शिविर पूर्ण किए जा चुके हैं और यह प्रवाह निरन्तर गतिमान है। यहाँ से युगपरिवर्तन का शंखनाद किया गया, महाशक्ति शंखनाद किया जा चुका है और युगपरिवर्तन के लिए सतत कार्य किया जा रहा है।
इस शांत, एकांत स्थल से नित्य की जा रहीं एकांत की साधनाएं और ‘माँ’ के अखण्ड गुणगान की ऊर्जा से युगपरिवर्तन का चक्र चल चुका है और समाज को इस बात का भान कराया जा चुका है। कल ही दिनांक 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम की मूर्ति का स्थापना दिवस था। जब किसी स्थान पर अनीति-अन्याय-अधर्म चरम पर पहुंच जाता है, आस्था में कमी आ जाती है, तो उस स्थान की ऊर्जा नष्ट होने लगती है, तब उस ऊर्जा को वापस प्राप्त करने के लिए घोर प्रायश्चित करना पड़ता है और पाँच सौ सालों से जनमानस में एक प्रायश्चित का भाव था, अपने आदर्श को, श्रीराम को पाने के लिए अथक त्याग करना पड़ा और उसी प्रायश्चित के फलस्वरूप आज यह पावन पुनीत दिन देखने को मिला है।
आप सभी जानते हैं कि देवताओं पर भी संकट आता है, तो उस संकट का निदान माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा ही करती हैं और उन्हीं की कृपा से अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा का कार्य एक शक्तिसाधक के द्वारा सम्पन्न किया गया। ‘माँ’ के श्रीचरणों पर हम प्रार्थना करते हैं कि परिवर्तन का यह क्रम निरन्तर चलता रहे।”
परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा कि ”सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर कुछ क्रम रखे गए हैं, जिनमें अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता, अखिल भारतीय योगभारती सामूहिक विवाह कार्यक्रम और अखिल भारतीय सुर-संध्या एवं कविसम्मेलन शामिल हैं। स्थापना दिवस पर कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं रखा जाता। वृहद धार्मिक व समाजिक क्रमों की शृंखला यज्ञस्थल मंदिर बनने के बाद प्रारम्भ किए जाने का विचार है।”
अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता
सिद्धाश्रम स्थापना दिवस के पावन अवसर पर पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में सम्पन्न विविध कार्यक्रमों में प्रात: 09:00 बजे से भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित एकादश अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता कार्यक्रम में संगठन की विभिन्न शाखाओं से पहुंचे सैकड़ों प्रतिभागियों और आश्रम में निवासरत बालक-बालिकाओं ने हिस्सा लिया।
प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त विजेता प्रतिभागियों को शक्तिस्वरूपा बहनों ने विजेता मेडल, प्रमाणपत्र व पुरस्कार राशि प्रदान की।
दिनांक 23 जनवरी 2024 को 28वें सिद्धाश्रम स्थापना दिवस के पावन अवसर पर आयोजित ‘अखिल भारतीय सिद्धाश्रम दौड़ प्रतियोगिता’ का शुभारम्भ ‘माँ’-गुरुवर के जयकारों के साथ हुआ। इसमें बालिका और बालक आयु वर्ग 05 से 10 वर्ष से कम के विजेता प्रतिभागियों को 100 मीटर की दौड़ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार क्रमश: कु. मनीषा रैकवार पुत्री शिवलाल रैकवार, निवासी-सिद्धाश्रम, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल (म.प्र.), मनोज रैकवार पुत्र शिवलाल रैकवार, निवासी-सिद्धाश्रम, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल (म.प्र.) को पच्चीस-पच्चीस सौ रुपए, कु. दिव्यांशी साहू पुत्री संतोष कुमार साहू, निवासी ग्राम-सरई, जि़ला-सिंगरौली, शिव चतुर्वेदी पुत्र दिलीप चौबे, निवासी-सिद्धाश्रम, जि़ला-शहडोल (म.प्र.)को दो-दो हज़ार रुपए, कु. आराध्या शुक्ला पुत्री रंजना शुक्ला, निवासी-सिद्धाश्रम, जि़ला-शहडोल (म.प्र.), सुमित कुमार निषाद पुत्र श्याम बाबू निषाद, निवासी-385 चन्दन नगर, हंसपुर, नौबस्ता, कानपुर नगर (उ.प्र.) को पन्द्रह-पन्द्रह सौ रुपए नकद पुरस्कार, प्रमाणपत्र व विजेता मेडल प्रदान किये गये।
बालक-बालिका 10 से 16 वर्ष से कम आयु वर्ग के विजेता प्रतिभागियों को 200 मीटर की दौड़ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार क्रमश: कु. आकृती त्रिपाठी पुत्री शैलेन्द्र त्रिपाठी, निवासी- सिद्धाश्रम, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल (म.प्र.), अनुराग सेन पुत्र राजकुमार सेन, निवासी ग्राम-बढखेरा, पो.-रघुराजनगर, जि़ला-सतना (म.प्र.) को पैंतीस-पैंतीस सौ रुपए, स्मृति केवट पुत्री अनिल केवट, निवासी ग्राम-टांघर, पो.भोलहरा, तह.-ब्यौहारी, जि़ला-शहडोल (म.प्र.), रितेश यादव पुत्र अभयराज यादव, निवासी ग्राम-गिधार, तह.-लालापुर, जि़ला-प्रयागराज (उ.प्र.) को पच्चीस-पच्चीस सौ रुपए, प्राची पटेल पुत्री गंगा प्रसाद, निवासी ग्राम-पैकिनिया, पो.-झलवार, तह.-रामपुर नैकिन, जि़ला-सीधी (म.प्र.), सुनील कुमार भाटिया पुत्र सुरेश कुमार भाटिया, निवासी ग्राम-जोंधी, पो.-मझियारी, तह.-बारा, जि़ला-प्रयागराज (उ.प्र.) को दो-दो हज़ार रुपए नकद पुरस्कार, प्रमाणपत्र व विजेता मेडल प्रदान किये गये।
बालक-बालिका 16 से 40 वर्ष आयु वर्ग के विजेता प्रतिभागियों को 300 मीटर की दौड़ में प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार क्रमश: दुर्गा सेन पुत्री संतोष सेन, निवासी-आदर्श नगर, वार्ड नं. 13, तह.-रघुराजनगर, जि़ला-सतना (म.प्र.), बृजेश सिंह पुत्र महाराज सिंह, निवासी-हनुमान नगर, नई बस्ती, जि़ला-सतना (म.प्र.) को छह-छह हज़ार रुपए, संगीता विश्वकर्मा पुत्री बीरेन्द्र चन्द्र विश्वकर्मा, निवासी ग्राम-मलूकपुर, पो.-एरायाखाना, तह.-खागा, जि़ला-फतेहपुर (उ.प्र.), सचिन मिश्रा पुत्र रजनीश मिश्रा, निवासी-चाणक्यपुरी कालोनी, गली नं.-01, जि़ला-सतना (म.प्र.) को चार-चार हज़ार रुपए और सपना लोधी पुत्री भगवान सिंह लोधी, निवासी ग्राम-बेलबाड़ा, पो. व तह.-तेन्दूखेड़ा, जि़ला-दमोह (म.प्र.), आदर्श कुशवाहा पुत्र ज्ञानी प्रसाद कुशवाहा, निवासी ग्राम-कुबरी, पो.-नेहुती, तह.-बिरसिंहपुर, जि़ला-सतना (म.प्र.) को तीन-तीन हज़ार रुपए नकद पुरस्कार, प्रमाणपत्र व विजेता मेडल प्रदान किये गये।
योगभारती विवाह पद्धति से 09 नवयुगल परिणयसूत्र में बंधे
सिद्धाश्रम स्थापना दिवस के पावन अवसर पर परम पूज्य गुरुवरश्री के आशीर्वादस्वरूप मूलध्वज साधना मंदिर में योगभारती विवाह पद्धति से विधि-विधान के साथ पच्चीसवां सामूहिक वैवाहिक कार्यक्रम, हर्षोल्लास से परिपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। इसमें 09 नवयुगलों ने अपने माता-पिता एवं परिजनों की सहमति से परिणयसूत्र में बंधकर आजीवन साथ निभाने का वचन एक-दूसरे को दिया।
सभी नवयुगलों ने सर्वप्रथम दाहिने हाथ में संकल्प सामग्री लेकर माता भगवती, परम पूज्य गुरुवरश्री एवं उपस्थित जनसमुदाय को साक्षी मानकर एक-दूसरे को पति-पत्नी के रूप में वरण करने का संकल्प किया। तत्पश्चात्, एक-दूसरे को माल्यार्पण करते हुये सभी ने गठबन्धन, मंगलसूत्र एवं सिन्दूर समर्पण की रस्में पूर्ण कीं। तदुपरान्त नवयुगलों ने पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, वायु तत्त्व एवं दृश्य तथा अदृश्य जगत् की स्थापित समस्त शक्तियों को साक्षी मानकर सात फेरे लगाये और आजीवन साथ निभाने का संकल्प लिया। उपर्युक्त कार्यक्रम में शक्तिस्वरूपा बहनों ने सभी नवयुगलों का गठबंधन किया एवं उपहार प्रदान करके सभी को अपना स्नेह एवं आशीर्वाद प्रदान किया। विवाह सम्पन्न होने के बाद आरतीक्रम सम्पन्न किया गया तथा सायंकालीन बेला में सभी नवयुगलों ने परम पूज्य गुरुवरश्री का चरणवन्दन करके सुखद दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया।
ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने भगवती मानव कल्याण संगठन के लाखों कार्यकर्ताओं को नशामुक्त, मांसाहारमुक्त, चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी व परोपकारमय जीवन जीने, और मानवता की सेवा, धर्मरक्षा एवं राष्ट्र की रक्षा का संकल्प दिलाया है।
विदित है कि योगभारती पद्धति से विवाह सम्पन्न कराने में जहां फिजूलखर्ची नहीं होती, वहीं वरपक्ष की तरह ही कन्यापक्ष को भी बराबर का सम्मान मिलता है। वर्तमान समय में समाज के बीच जिस तरह वैवाहिक कार्यक्रमों में फिजूलखर्ची हावी है, उससे कन्यापक्ष को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिये दहेजप्रथा रूपी दानव तथा फिजूलखर्ची से परे हटकर, सद्गुरुदेव जी के आशीर्वाद से हर वर्ष नवयुगलों का विवाह सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर सम्पन्न करवाया जाता है।
स्थापना दिवस पर जिन नवयुगलों का शुभ विवाह सम्पन्न हुआ, उनके नाम इस प्रकार से हैं–
जयसिंह संग संगीता लोधी, सतेन्द्र सिंह गौर संग दीपा सिंह, नंदराम संग प्रियंका, आदित्य कुमार संग पूनम साहू, विवेक स्थापक संग रेखा तेकाम, विकास सिंह लोधी संग कामिनी देवी, भैयाराम वैश्य संग सरोज देवी, धमेन्द्र साकेत संग आरती बेनिया और नितिन तिवारी संग चारुलोचन।
सुरसंध्या एवं कविसम्मेलन
सिद्धाश्रम स्थापना दिवस पर आयोजित एकादश अखिल भारतीय ‘सिद्धाश्रम सुर-संध्या एवं कविसम्मेलन’ 2024 में शामिल गीत गायक एवं काव्यपाठी प्रतिभाओं के साथ ही श्रोताओं से कार्यक्रम स्थल (प्रणामभवन का विशाल कक्ष) भरा हुआ था। सभी ने भक्तिरस से परिपूर्ण गीत-संगीत और ओज से परिपूर्ण काव्यपाठ का आनंद रात्रि 08:00 बजे से 10:15 बजे तक उठाया। इस अवसर पर उपस्थित भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय महासचिव सिद्धाश्रमरत्न सौरभ द्विवेदी (अनूप) जी और संगठन के केन्द्रीय मुख्य सचिव सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला ‘राजू भइया’ जी ने कवियों व गायकों का उत्साहवर्धन किया।
सद्गुरुदेव जी के शिष्यों में से गीत-संगीत व साहित्य में अभिरुचि रखने वाले सदस्यों ने भक्तिरस से परिपूर्ण भावगीत व काव्यपाठ प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के समापन से पूर्व सिद्धाश्रमरत्न सौरभ द्विवेदी जी ने अपनी सरस वाणी में सीताराम, सीताराम, सीताराम, सीताराम, भजन प्रस्तुत करके श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। प्रस्तुत भक्तिगीतों व काव्यपाठ की प्रारम्भिक पंक्तियां इस प्रकार हैं:-
नेहा साहू जी, सिद्धाश्रम- संघर्षों का जीवन अपना, होठों पर मुस्कान। धर्मयुद्ध के योद्धा हैं हम, ये अपनी पहचान।। परसू सिंह जी, सिद्धाश्रम- हे गुरुवर तेरी महिमा न जाने कोई, हे गुरुवर तेरा मर्म न जाने कोई। अवन्ती लोधी जी, सागर- थोड़ा ध्यान लगाओ गुरुवर दौड़े आयेंगे। दीपू तिवारी जी, भोजपुर, बिहार- कबन योग्यता परख्यो भवानी तुम,…। अंशिका योगभारती, कानपुर- मुझे दास बना लो माँ अहसान तुम्हारा होगा। बाबूलाल विश्वकर्मा र्जी, दमोह- फिर से आई अबके बरस की घड़ी स्थापना दिवस की,…। संगीता लोधी जी, भोपाल- ज्ञान के सब ग्रन्थ कहते, ऋषि-मुनि सब सन्त कहते।…।। प्रतीक तिवारी जी, सिद्धाश्रम- गुरुवर करुणा के सागर, गुरु जैसा नहीं कोई और। सिद्धाश्रम माँ का द्वारा, कृपा बरस रही चहुँओर।। शशि त्रिपाठी जी, गुरुग्राम, हरियाणा- मेेरे गुरुवर जी हमारे सबके गुरुवर जी। रामलाल कुशवाहा जी, कन्नौज- हमको दिया जो माँ ने संतुष्ट होगए, लोग पाकर करोड़ों असंतुष्ट रह गए। कु. समृद्धि जी, गाजि़याबाद- न कर्म से मिला न अधिकार से मिला न मुझे इस झूठे संसार से मिला। मैंने जो भी पाया अपने जीवन में, वो मुझे मेरे गुरुवर के दरबार से मिला।। सुनील रैकवार, दमोह- माँ-गुरुवर के चरणों में शत-शत नमन हमारा। रवि पटेल, कुरुद, छत्तीसगढ़- पावन है धरती बिलासपुर के,…। धर्मेन्द्र साकेत जी, सिंगरौली- गुरुवर तेरे चरणों की, मइया तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए। महेन्द्र पटेल जी, सिद्धाश्रम- नगरी हो सिद्धाश्रम की, गुरुवर सा ठिकाना हो। जगदीश सिंह जी, जबलपुर- जिन्दगी भर सफर पर रहे, पर वहीं के वहीं रह गए। धनंजय चतुर्वेदी, सिद्धाश्रम- नेता हमारे ईद के चाँद होते हैं, झूठ की दुकान होते हैं। आरती मिश्रा जी, सिद्धाश्रम- माँ-गुरुवर की महिमा को गाते रहो, परहित में जीवन लगाते रहो।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए रमेशचन्द्र मिश्रा जी, कानपुर के द्वारा प्रस्तुत काव्यपाठ- कण-कण आज पुकार उठा है, मन के सभी विकार हटा दो। खण्ड-खण्ड प्यासी धरती पर, अविरल रस की धार बहा दो। बाबूलाल विश्वकर्मा जी, दमोह- छाया शीतल गुरुचरणों की, शक्ति है प्रबल गुरुचरणों की।
इस भावगीत के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ।