कैल्शियम एक खनिज है, जो मुख्य रूप से स्वस्थ हड्डियों और दांतों से जुड़ा होता है। हालांकि, यह रक्त के थक्के जमने, मांसपेशियों के संकुचन और हृदयगति और तंत्रिका कार्य को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम का सेवन करना ज़रूरी है। कैल्शियम के स्रोत के बारे में एक आम $गलत धारणा यह है कि कैल्शियम दूध में अधिकतम मात्रा में ही पाया जाता है और यही वजह है कि बच्चों के पीछे उनकी मां हमेशा दूध का गिलास लेकर खड़ी रहती हैं। हालांकि यह सच है, दूध स्वस्थ हड्डियों और दांतों के लिए अच्छा होता है।
लेकिन, हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि अरहर दाल या तुअर दाल की भूसी कैल्सियम का अच्छा स्रोत है, जिसे अब तक जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह जानकारी इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (इक्रीसेट) द्वारा की गई रिसर्च में सामने आई है और निष्कर्ष पीयर-रिव्यू जर्नल सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुए है। इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स के अनुसार, अरहर की भूसी में दूध की तुलना में छह गुना अधिक कैल्शियम होता है। जो ऑस्टियोपोरोसिस और रिकेट्स के इलाज के लिए खाद्य और दवा कंपनियों के लिए मूल्यवान है।
नित्यप्रति कितने कैल्शियम का सेवन करें?
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि मनुष्यों को प्रतिदिन औसतन 800 से 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है, जबकि शोध से पता चला है कि भारतीयों को औसतन अपने आहार से उतनी मात्रा नहीं मिल रही है।
कैल्शियम की कमी से होते हैं ये रोग
डिप्रेशन, भ्रम की स्थिति, हड्डियों में फ्रैक्चर, मांसपेशियों में ऐंठन, कमज़ोर और खराब नाखून, याददाश्त में कमी, हाथ, पैर और चेहरे में सुन्नपन और झुनझुनी आदि।
कैसे जानें कि कैल्शियम की कमी है?
शरीर में कैल्शियम की कमी से कमज़ोरी, थकान, मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन, सुन्नता या विशेष रूप से उंगलियों और जबड़े में झुनझुनी, चक्कर आना, निगलने में कठिनाई जैसे लक्षण हो सकते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।