संकल्प शक्ति, सागर। भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 20-21 जून को ग्राम-बान्द्री, तहसील-मालथोन, जि़ला-सागर में 24 घंटे का श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ सम्पन्न किया गया।
समापन बेला पर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न संध्या शुक्ला जी ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ”आज यहाँ सम्पन्न हो रहे दिव्य अनुष्ठान में हम सभी सम्मिलित हुए, यह हमारी जीवन के लिए सौभाग्य का विषय तो है ही, एक और सौभाग्य का दिन है कि आज अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस है। यह दिवस योग के प्रति समाज को ज़ागरूक करने के लिए मनाया जाता है। हमारे ऋषि-मुनि योग के बल पर ही तो हज़ारों-हज़ार साल का जीवन जीते थे। हमारे, आपके दादा-परदादा सौ-सौ साल का जीवन जीते थे, क्योंकि वे मेहनती थे, योग करते थे। लेकिन, आज लोगों का जीवन 60-70 साल में सिमटकर रह गया है, क्योंकि समाज ऋषियों-मुनियों के द्वारा प्रदत्त योग को विस्मृत कर चुका है। परम पूज्य सद्गुरुदेव योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज का चिन्त है कि योग ही जीवन है, वियोग ही मृत्यु है।
यदि योग के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, तो प्राणायाम की शरण ले लें और धीरे-धीरे योग के क्रमों को सीखें। योग-प्राणायाम के लिए 24 घंटे में से एक घण्टे का समय अवश्य निकालें। आपके शरीर में उत्पन्न होने वाली सभी बीमारियों को दूर करने के लिए हमारे ऋषियों-मुनियों ने योग का मार्ग दिया है, लेकिन योग को अपनाने से पहले आपको नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जीना पड़ेगा, तभी योग का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकेगा। सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज अपनेे शिष्यों को, समाज को इसी मार्ग पर आगे बढ़ा रहे हैं।
परम पूज्य गुरुवरश्री ने आपको धर्म की रक्षा के लिए पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम, मानवता की सेवा के लिए भगवती मानव कल्याण संगठन और राष्ट्र की रक्षा के लिए भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की सौगात दी है। इन तीनों धाराओं से जुड़ें और धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और मानवता की सेवा जैसे मानवीय कत्र्तव्यों का निर्वहन करने तथा शरीर को स्वस्थ व चैतन्य बनाए रखने के लिए योग को जीवन का अभिन्न अंग बना लें।
भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय महासचिव आशीष शुक्ला (राजू भइया) जी ने अपने सारगर्भित उद्बोधनमें कहा कि ”आज़ादी के दीवानें जब देश की आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, जिनके बलिदान के फलस्वरूप हमें आज़ादी मिली, तब उन्हें यह भी नहीं मालूम था कि वे आज़ाद हिन्दुस्तान को देख सकेंगे भी या नहीं! और आज हम स्वतंत्र भारत में श्वास ले रहे हैं, लेकिन अँग्रेज़ों की कुत्सित नीति पर चलने वाले राजसत्ताओं व राजनेताओं की स्वार्थपूर्ण गतिविधियों के चलते लोगों का जीवन बद से बदतर होता जा रहा है। सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो चुका है, वातावरण को प्रदूषित कर दिया गया है, श्वासों में शुद्ध हवा की जगह प्रदूषित वायु प्रवेश कर रही है, जिसकी वजह से विभिन्न बीमारियों से लोग छटपटा रहे हैं, ऊपर से शराब के रूप में खुलेआम ज़हर परोसा जा रहा है। शहर, कस्बे और गावों की बात छोडि़ए, दूर-दराज पहाड़ी क्षेत्रों में भी शराब पहुँचाई जा रही है, वोट के लिए जातपॉत का भेद पैदा किया जा रहा है, धर्म के नाम पर समाज को बाटा जा रहा है। हमें जागना होगा, अपने अधिकार और कत्र्तव्य के प्रति सजग होना होगा, आख़्िार कब तक शोषण के शिकार होते रहोगे। अपने बच्चों को कैसे संस्कारवान बनाओगे, जब चारोंओर नशा और अश्लीलता परोसी जा रही हो।
हमें सजग होना होगा, किसी जाति-धर्म के लोगों के साथ भेदभाव न करें, एक-दूसरे के प्रति अपनत्व की भावना रखें, स्वार्थीतत्त्वों के बहकावे में न आए। हम मानव हैं और सभी के अन्दर एक ही आत्मा निवास करती है। अरे, जब प्रकृति किसी के साथ भेदभाव नहीं रखती, तो हम कौन हैं भेदभाव रखने वाले? चाहे धरती हो या आकाश, चाहे प्रकाश हो, जल हो या वायु, प्रकृति तो इन्हें सभी को समानरूप से प्रदान करती है। भेद तो हमने आपने बना रखा है।ÓÓ
उद्बोधनक्रम के पश्चात् कार्यक्रम में उपस्थित सभी भक्तों को विघ्नविनाशक शक्तिजल और प्रसाद का वितरण किया गया।