नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिकाकता को कड़ी फटकार लगाई। आनंद किशोर चौधरी नाम के युवक ने याचिका में गूगल इंडिया से 75 लाख रुपए का मुआवजा मांगा था। उसका कहना था कि यूट्यूब पर अश्लील सामग्री वाले विज्ञापन के चलते उसका ध्यान भंग हुआ और वह मध्यप्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा में फेल हो गया। याचिकाकर्ता ने सोशल मीडिया मंच पर अश्लीलता पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी मांग की थी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, यह अनुच्छेद 32 के तहत दायर अब तक की सबसे खराब याचिकाओं में से एक है। न्यायमूर्ति कौल ने याचिकाकर्ता से यह भी कहा कि अगर आपको कोई विज्ञापन पसंद नहीं है, तो उसे न देखें। फिर पूछा कि किस चीज का मुआवजा चाहिए? आप इंटरनेट देखते हो इससे, या इंटरनेट देखने की वजह से परीक्षा में पास नहीं हो पाए, इसलिए?
जजों ने कहा कि विज्ञापन में ‘सेक्सुअल कंटेंट था, इससे आपका ध्यान भंग हो गया। इसलिए अदालत में आकर आप बोल रहे हो कि मुआवजा दो। अब आपको अपने आचरण के कारण अदालत को हर्जाना देना होगा। याचिका को खारिज करते हुए और याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाते हुए न्यायमूर्ति कौल ने यह भी टिप्पणी की, इस प्रकार की याचिकाएं न्यायिक समय की बर्बादी हैं। जुर्माने की रकम सुनते ही याचिकाकर्ता ने अपील की, महोदय, मुझे माफ कर दीजिए। मेरे माता पिता मज़दूर हैं।
न्यायमूर्ति कौल ने जवाब दिया, आप को लगता है कि प्रचार के लिए जब चाहें इधर आ सकते हैं। जुर्माना कम कर दूंगा, लेकिन माफ नहीं करुंगा। इसके साथ ही उन्होंने जुर्माना घटा कर 25,000 रुपए करने का निर्देश दिया।