28 जुलाई, गुरुवार को है यह पर्व
संकल्प शक्ति। हिंदूधर्म में हरियाली अमावस्या का विशेष महत्त्व है। यह पर्व श्रावण मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 28 जुलाई, गुरुवार को है। इस पर्व पर पौधे लगाना बहुत शुभ माना जाता है। हरियाली अमावस्या पर ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वादस्वरूप हर वर्ष पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पर, पूजनीया शक्तिमयी माताजी, शक्तिस्वरूपा बहनों और सिद्धाश्रमवासियों के द्वारा वृक्षारोपण किया जाता है।
भगवती मानव कल्याण संगठन की केन्द्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन पूजा जी, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन संध्या जी और पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट़स्ट की प्रधान न्यासी शक्तिस्वरूपा बहन ज्योति शुक्ला जी ने देश-विदेश के सभी गुरुभाई-बहनों से अपील की है कि हरियाली अमावस्या के पावन पर्व पर अपने खेत की मेड़ों पर, बाड़ी में या कहीं भी रिक्त पड़ी भूमि पर पीपल, बरगद, नीम, तुलसी, आम, बेल, अमरूद, नीबू, आँवला आदि के पौधे अवश्य लगाएं।
वृक्ष हमें प्राणवायु प्रदान करते हैं, लेकिन वर्तमान में जहाँ देखो वहाँ जंगलमा$िफया सक्रिय हंै, जो वृक्षों को कटवाकर धनार्जन में लगे हुए हैं। अपितु जंगल के जंगल साफ होते जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है और शुद्धवायु न मिलने से आमजनजीवन विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों से ग्रसित होकर असमय ही काल के गाल में समाता जा रहा है। अत: मानवता को पर्यावरण प्रदूषण के संकट से बचाने के लिए त्रिधाराओं-भगवती मानव कल्याण संगठन, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी ने ‘वृक्ष लगाओ, जीवन बचाओ’ जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
उदयातिथि पर हरियालीपर्व
पंचांग के अनुसार, हरियाली अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 जुलाई, बुधवार को रात 09 बजकर 11 मिनट से और समाप्ति 28 जुलाई, गुरुवार को रात 11 बजकर 24 मिनट पर हो रही है। ऐसे में उदयातिथि पर हरियालीपर्व 28 जुलाई को मनाई जायेगी।
प्राणवायु प्रदान करता है पीपल का वृक्ष
धार्मिक मान्यता है कि हरियाली अमावस्या के दिन प्रात:काल पवित्र नदी या सरोवरों में स्नान करना और उसके बाद दान-पुण्य करना तथा पौधे लगाना बेहद शुभ कार्य हैं। इस दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तर्पण और पूजन भी किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, पीपल के पेड़ में त्रिदेवों का वास होता है। साथ ही पीपल वह वृक्ष है, जो 24 घंटे हमें प्राणवायु प्रदान करता है।
धरती को हरा-भरा बनाए रखें
प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाता रहा है। यही कारण है कि पर्यावरण को संरक्षित करने की दृष्टि से पेड़-पौधों में ईश्वरीय रूप को महत्त्व देकर उनकी पूजा का विधान है। इस त्यौहार का जितना धार्मिक महत्त्व है, उतना ही वैज्ञानिक महत्त्व भी है। हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व और धरती को हरा-भरा बनाए रखने का संदेश देती है।
शक्तिस्वरूपा बहन पूजा जी, संध्या जी और ज्योति जी ने देश-विदेश के सभी गुरुभाई-बहनों से अपील की है कि हरियाली अमावस्या के पावन पर्व पर अपने खेत की मेड़ों पर, बाड़ी में या कहीं भी रिक्त पड़ी भूमि पर पीपल, बरगद, नीम, तुलसी, आम, बेल, अमरूद, नीबू, आँवला आदि के पौधे अवश्य लगाएं।