कोरबा। आदिवासी बच्चों के विकास के लिए कोरबा जिले को केंद्र सरकार से मिले छह करोड़ रुपये में से तीन करोड़ रुपये का घोटाल किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि 126 छात्रावासों और आश्रमों के नवीनीकरण के लिए स्वीकृत यह राशि बिना टेंडर और काम कराए ठेका कंपनियों को दे दी गई।
ईडी द्वारा की जा रही कोयला परिवहन वसूली व मनी लॉंड्रिंग की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ। आरोपित बनाए जाने के कारण जेल में बंद आइएएस अधिकारी एवं कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के कार्यकाल के दौरान इस गड़बड़ी में आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त माया वॉरियर की मिलीभगत भी सामने आई है।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार काम के लिए निविदा निकालने, कार्यादेश और प्राक्कलन जैसी औपचारिकता भी नहीं पूरी की गई। कार्यालय में मापक पुस्तिका, देयक वाउचर, मूल नस्ती व अन्य लिखित विवरण भी नहीं मिले हैं। केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 275 (1) की विशेष सहायता व्यवस्था के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 में छह करोड़ 27 लाख 56 हजार रुपये आदिवासी जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग कोरबा को आदिवासियों के हित में कार्य करने के लिए दिए थे।