Monday, November 25, 2024
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आप व्यथित क्यों हैं और किससे भयभीत हैं?

संकल्प शक्ति। आप नित्यप्रति विचार करें कि मैं अपने विचारों को भटकने नहीं दूँगा और विचारों की उत्कृष्टता के लिए सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के अमोघ चिन्तन एवं उनकी जीवनी का अध्ययन करूँगा तथा स्वयं को उसी अनुरूप ढालने का प्रयास करूँगा। किसी के प्रति द्वेषभाव नहीं रखूँगा और अपना स्वभाव मधुर रखूँगा। कभी किसी की आलोचना नहीं करूँगा और मेरे सामने जो भी समस्याएं आयेंगी, उन्हें धीरे-धीरे सुलझाने का प्रयास करूँगा तथा यह सोचकर मन को उद्विग्न नहीं होने दूँगा कि समस्याओं का निदान कैसे होगा? ये विचार ही आपकी समस्याओं के निदान और निर्भयता प्रदान करने वाले हैं।

ऋषिवर सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज का चिन्तन है कि ”माता आदिशक्ति जगत् जननी का अंश आत्मा के रूप में हमारे अंदर बैठा हुआ है, ‘माँ’ ने उस अनमोल अंश को रखने के लिये शरीर रूपी अनमोल मंदिर दिया है, जिसके अन्दर निखिल ब्रह्माण्ड समाहित है। प्रकृति ने हमारे लिये  ज्ञान का भंडार खोल रखा है, जिसे हम अपनी सामथ्र्यानुसार प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी हम व्यथित हैं, नाना प्रकार की समस्याओं से ग्रसित हैं। आखिर क्यों? इसलिए कि हमारे विचार व कर्म ही शुद्ध व सात्विक नहीं हैं। जबकि प्रकृतिसत्ता हमसे चाहती है कि हमारे विचार शुद्ध एवं सात्विक हों और कर्म साधना से परिपूर्ण हो।’’ 

ध्यान रखें; जीवन में जो भी चल रहा है, वह हमारी नकारात्मक और सकारात्मक सोच का परिणाम है। सकारात्मक सोच वाले तो लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते जा रहे हैं, जबकि नकारात्मक सोच वाले बहुत पीछे हैं। ध्यान रखें, सकारात्मक सोच जहां शान्ति प्रदान करती है, वहीं लक्ष्य की ओर कदम आगे बढ़ते चले जाते हैं। अपने अन्दर दृढ़ विश्वास जाग्रत् करो। स्थायित्व धारण करो कि हम नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जिएंगे और जीवन के किसी भी मोड़ पर किसी के भी बहकावे में नहीं आएंगे। आपकी व्यथा, आपका समस्याएं दूर होती चली जायेंगी।

 अलोपी शुक्ला कार्यकारी सम्पादक

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