संकल्प शक्ति। एकता और भाईचारे का प्रतीक रंगों का पर्व ‘होली पूरे देश में हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया, लेकिन मध्यप्रदेश के शहडोल जि़ले में ब्यौहारी अनुविभाग क्षेत्रान्तर्गत सिद्धाश्रम सरिता के तट पर स्थित अध्यात्मिकस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में तो होली पर्व का रंग अनूठा था। एक ऐसा रंग, जो भारतीय संस्कृति और अध्यात्मिक परिवेश से युक्त था और वह रंग था ‘भक्ति का रंग।
पूजनीया शक्तिमयी माता जी की ममता व शक्तिस्वरूपा बहनों की स्नेहिल छांव में सिद्धाश्रमवासियों और सिद्धाश्रम पहुँचे गुरुभाई-बहनों, ‘माँ के भक्तों ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप परमसत्ता और गुरुसत्ता की भक्ति के रंग में डूबकर, आत्मीयता से परिपूर्ण वातावरण में होली पर्व का आनन्द उठाया।
सभी प्रकार के मनोविकारों को नष्ट करने वाले इस पर्व की पूर्व सन्ध्या को ही ‘माँÓ के भक्त व धर्मसम्राट् युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के अनेक शिष्य सिद्धाश्रम पहुंच गये थे। होली की नवप्रभात बेला में स्वच्छ धवलवस्त्र धारण करके सर्वप्रथम सभी भक्तगण मूलध्वज साधना मंदिर पहुंचे और वहाँ साधनात्मकक्रमों को पूर्ण करते हुये पूजनीया शक्तिमयी माता जी के सान्निध्य में आरती का लाभ प्राप्त किया।
तत्पश्चात् सभी भक्त श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मन्दिर पहुंचे, जहाँ पर बैठकर सद्गुरुदेव जी महाराज के द्वारा सम्पन्न की जा रही माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा और सहायकशक्तियों की दिव्य आरती में सम्मिलित हुए। दिव्य आरती के उपरान्त, सभी ने पंक्तिबद्ध होकर एक-एक करके परम पूज्य गुरुवरश्री का चरणवन्दन करने के बाद प्रसादस्वरूप प्राप्त गाय के दूध से निर्मित खोवे की मेवायुक्त गुझिया प्रसाद को ग्रहण किया। सायंकालीन बेला में भी सभी गुरुभाई-बहन और ‘माँ के भक्तों ने आरतीक्रम में सम्मिलित होने के बाद परम पूज्य गुरुवर के श्रीचरणों को स्पर्श करके आशीर्वाद प्राप्त किया।
गोशाला में भक्तों ने किया सेवाकार्य
गुरुवरश्री के शिष्यों, भक्तों ने होलीपर्व के अवसर पर पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम परिक्षेत्र में स्थित गोशाला पहुंचकर गोसेवा जैसे पुनीत कार्य में हाथ बंटाया। सेवाकार्य में गोशाला परिसर की सफाई, गऊमाताओं एवं उनके बछड़ों को स्वच्छ जल से स्नान कराना, बाग की सिंचाई आदि शामिल रहे। इससे पूर्व सभी ने स्वामी जी की समाधिस्थल पर जाकर नमन करते हुए परिक्रमा की और दानबीर बाबा के गुफास्थल पर जाकर उनको भी नमन किया।
सभी ने एकसाथ बैठकर किया भोजन
सिद्धाश्रम में स्थित अन्नपूर्णा भंडारा परिसर में गुरुवरश्री के शिष्यों व भक्त समभाव से बैठकर सुबह-शाम दोनों समय महाप्रसाद के रूप में पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल ग्रहण करके तृप्त हुए।पूरे देश में मनाई गई होलीरंगों का त्यौहार होली, देश के सभी प्रान्तों सहित मध्यप्रदेश में भी हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। फाल्गुन की पूर्णिमा, 07 मार्च 2023 की रात्रि होलिका दहन के बाद 08 मार्च की सुबह से ही नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि कृत्तिम रंगों से सराबोर हो उठी थी। लेकिन, भौतिक जगत् के कृत्तिम रंगों व नशे की तरंग में डूबे लोग अपनी मर्यादा और संस्कृति भूल चुके हैं। चारों ओर फूहड़पन से युक्त कृत्तिम उत्साह परिलक्षित था। यदि हम अपने आध्यात्मिक पर्वों को आध्यात्मिकता के रंग में डूबकर मनाते, ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की विचारधारा के अनुरूप पूरा समाज चलता, तो आज भय-भूख-भ्रष्टाचार, अनीति-अन्याय-अधर्म, व्यभिचार व शोषण के स्थान पर आनन्द की वर्षा हो रही होती।