Wednesday, November 27, 2024
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धन्य हैं वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जिनके त्याग, तप, बलिदान के कारण हमें यह पावन दिन मिला : बहन संध्या शुक्ला

संकल्प शक्ति, अलोपी शुक्ला। 15 अगस्त 2023, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम की प्रात:कालीन बेला, अत्यन्त ही उत्साहपूर्ण वातावरण था। सिद्धाश्रमवासी सभी गुरुभाई-बहन व सिद्धाश्रम पहुँचे भक्तों ने माता जगदम्बे की स्तुति करने के बाद ऋषिवर सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के श्रीचरणों में नतमस्तक होकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके उपरान्त, 07:15 बजे प्रणामभवन के सामने विशाल प्रांगण में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। सर्वप्रथम, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न संध्या शुक्ला जी और पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट की प्रधान न्यासी शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न ज्योति शुक्ला जी ने संयुक्त रूप सेे राष्ट्रीयध्वज तिरंगा फहराया। इसके साथ ही तालियों की गडग़ड़ाहट से समूचा वातावरण गुंजायमान हो उठा। ध्वजारोहण के पश्चात् कार्यक्रमस्थल पर उपस्थित सभी देशभक्तों, शक्तिसाधकों और बच्चों ने सावधान की मुद्रा में खड़े होकर समवेतस्वर में राष्ट्रगान किया।  

राष्ट्रगान के पश्चात् इस महोत्सव पर उपस्थित कुछ गुरुभाई-बहनों और बच्चों ने देशभक्ति से परिपूर्ण अपने भावसुमन प्रस्तुत किए, जिसके प्रारंभिक अंश इस प्रकार हैं:-  

हे माँ भारती करें हम वन्दना तुम्हारी-बाबूलाल विश्वकर्मा जी, दमोह। अमरपुरी से बढ़कर भी जिनका गौरव गान है-नेहा साहू जी, सिद्धाश्रम। हमें नशे-मांसाहार से मुक्त अपना देश बनाना है, हमें शक्ति चेतना पार्टी को आगे बढ़ाना है-गजेन्द्र साहू जी, पन्ना। पहन मुकुट हिमालय का-सिद्धी शर्मा जी, सिद्धाश्रम। देश पे मिटने वालों को नमन है-गगन विश्वकर्मा जी, दमोह। इस धरती पर स्वर्ग, यहाँ पर भारत माता हैं-मनीषा जी एवं श्वेता जी, सिद्धाश्रम।

काव्य पाठ के मध्य में अपने सारगर्भित उद्बोधन में कुमकुम त्रिपाठी जी, सिद्धाश्रम ने कहा कि ”आज हम 77वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह मना रहे हैं और यह दिवस हमारे लिये अत्यन्त ही गौरव का दिन है। हम हर साल उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद में यह दिवस मनाते हैं, जिन्होंने भारत देश की आज़ादी के लिए अपने आपको बलिदान कर दिया।

मेरे देशवालों सुनो ध्यान से तुम, तुम्हेें शक्तिसाधक बनना ही पड़ेगा-प्रतीक मिश्रा जी, सिद्धाश्रम। जब माली के ही हाथों बरबाद ये चमन हुआ, तब भारतीय शक्ति चेतना पार्टी का गठन हुआ-बाबूलाल विश्वकर्मा जी-दमोह। कोई भूखा न रहे देश में ऐसा विकास होना चाहिए, समानता की गंगा बहे ऐसा हमारा प्रयास होना चाहिए-अद्वैत जी, सिद्धाश्रम चेतना। भाव सुमन के प्रस्तुतीकरण के अन्त में अपनी बालसुलभ चंचलता लिए सिद्धाश्रम चेतना आत्रेय जी ने ‘भारत माता की जयÓ कहकर स्वतंत्रता समारोह में उपस्थित जनसमुदाय को मंत्रमुग्ध कर दिया और इसके साथ ही एक बार पुन: समूचा वातावरण भारत माता की जयघोष से गुंजरित हो उठा।

देशभक्ति से ओतप्रोत काव्यपाठ की शृंखला के समापन के पश्चात् भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी ने धीर-गम्भीर स्वर में कहा, ”आज पूरा देश 77वाँ स्वतंत्रता दिवस पर्व मना रहा है। हमारे लिए भी यह अत्यन्त गौरव का अवसर है कि हमें पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में वीर सेनानियों को नमन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।

निश्चित रूप से हमें यह आज़ादी अथक संघर्ष के बाद, लाखों-लाख लोगों के बलिदान के बाद प्राप्त हुई, उन वीर सेनानियों के त्याग, तपस्या, बलिदान, उनके आज़ादी के ज़ज़्बे को हम बारम्बार नमन करते हैं। चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे भारत के वीर सपूतों ने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करते हुए इसलिए स्वयं को गोली मार ली, क्योंकि उन्हें अंग्रेज़ों की $गुलामी स्वीकार नहीं थी। उन्होंने प्रण लिया था कि देश के लिए मरते मर जायेंगे, लेकिन जीते जी अंग्रेज़ों के हाथ नहीं आयेंगे। हमें उन महापुरुषों के स्वप्नों का भारत बनाना है और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी इस दिशा में निरन्तर प्रयासरत है।

हमारे देश में आज़ादी का महापर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन दुर्भाग्यजनक स्थिति यह है कि देश में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो देश को जाति, धर्म, सम्प्रदाय के नाम पर तोडऩा चाहते हैं। धिक्कार है ऐसे लोगों को! आज जगह-जगह हमारे देश में जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर हिंसा हो रही है और यह किसी से छिपा नहीं है कि यह सब कौन करा रहा है? जिन्हें भारत माता की जय कहने में शर्म आती है, वे देशद्रोही हैं। ऐेसे लोगों की पहचान होनी चाहिए।

आवश्यकता है कि हम सभी राष्ट्रभक्त एक होकर देशद्रोहियों की जड़ों को उखाड़ फेकें। हमारा सौभाग्य है कि हमें सच्चिदानंदस्वरूप सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के श्रीचरणों से जुडऩे का सौभाग्य प्राप्त है, जिन्होंने मानवता की सेवा, धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा के लिए तीन धाराओं का सृजन किया है। यदि सभी देशवासी तीनों धाराओं की विचारधारा के अनुरूप चलें, तो भारत देश पुन: विश्वगुरु अवश्य बनेगा।

 अपने उद्बोधन के अन्त में आपने कहा कि ”धन्य हैं वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जिनके त्याग, तप, बलिदान के कारण हमें यह पावन दिन मिला।

स्वतंत्रता समारोह समापन के पश्चात् कार्यक्रम में उपस्थित सभी देशभक्तों, गुरुभाई-बहनों, शक्तिसाधकों और बच्चों ने प्रसन्नतापूर्वक बूंदी के लड्डू प्राप्त किये। कार्यक्रम का संचालन सनिल यादव जी, सिद्धाश्रम ने किया।

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