रायपुर। इस बार हो रही भारी बारिश से बांधों में तेजी के साथ पानी भरता जा रहा है। प्रदेश के बड़े बांधों में से एक गंगरेल में 93 प्रतिशत से अधिक पानी भर चुका है। लगभग 43 साल पुराने इस बांध में पानी इतनी तेजी से भरा कि आनन-फानन में 14 गेट खोलने पड़े। ऐसे में सौ साल से अधिक हो चुकी बांधों को लेकर चर्चाएं उठ रहीं हैं कि कहीं वे बांध ध्वस्थ न होजाएं, जिसका खामियाजा आमजनसमुदाय को भोगना पड़ सकता है।
यूएनओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 50 साल या इससे अधिक पुराने बांध मानवजीवन, उनकी संपत्ति और पर्यावरण के लिए खतरा हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में बांधों की सुरक्षा को लेकर $कानून बना चुकी है। इस आधार पर हर प्रदेश को बांधों की सुरक्षा के लिए राज्यस्तरीय समिति और बांध सुरक्षा संगठन 30 जून तक गठित करनी थी, लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक डैम सेफ्टी ऑर्गनाईजेशन ही नहीं बना है, जबकि बताया जा रहा है कि वहाँ कुछ बाँध सौ साल पुराने हैं। बांध सुरक्षा संगठन का दायित्व बांधों की वास्तविक स्थिति का पता लगाना और रिपोर्ट तैयार करना है। संगठन अपनी रिपोर्ट, राज्यस्तरीय समिति के पास भेजेगा। इस आधार पर समिति संबंधित बांध की सुरक्षा के लिए एक्शन प्लान बनाएगी।
चेतावनी दे चुका है यूएनओ
पचास साल से पुराने बांधों को जनजीवन और पर्यावरण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने बड़ा खतरा बताया है। यूएनओ की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 2025 तक हज़ारों बांध 50 साल पुराने हो जाएंगे। ये बांध भविष्य के लिए खतरा बन सकते हैं। इनसे मानवजीवन, आजीविका और संपत्तियों को नुकसान पहुंच सकता है।