ढाका। चीन के कर्ज के बोझ में दबे देशों विशेषकर पड़ोस के मालदीव और श्रीलंका के बुरे परिणाम देखकर बांग्लादेश सतर्क हो गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार चीन से कर्ज लेने के प्रति अब उदासीन है। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति शी चिनफिंग की ढाका यात्रा के दौरान बांग्लादेश को 24 अरब डालर की मदद की भारी भरकम घोषणा अब घोषणा तक ही सीमित रह गई है। चीन ने अपनी महत्त्वाकांक्षी बोर्डर रोड इनिसियटिव के तहत जिन परियोजनाओं को बांग्लादेश में स्थापित करने की मंशा जताई थी, उनमें से अधिकांश की प्रगति शून्यवत है।
दूसरी और इस हफ्ते बांग्लादेश के विदेशमंत्री ए.के. अब्दुल मेमन और भारत के विदेशमंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें भारत की मदद से वहाँ शुरू की जाने वाली परियोजनाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा।
बांग्लादेश के सूचनामंत्री डॉ. हसन महमूद का स्पष्ट कहना है कि उनका देश चीन से अब कोई नया कर्ज नहीं ले रहा है और यह फैसला उनकी सरकार ने पूरी तरह से सोच समझ कर किया है।