नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर देश सहित बिहार में कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है। राज्य के अलग-अलग जि़लों में योजना का विरोध किया गया और सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की गई है। प्रदर्शनकारी छात्रों ने कई जगहों पर बसों में तोडफ़ोड़ की तो कई स्थानों पर ट्रेनों की बोगियों में आग लगा दी गई। वहीं इस योजना का बीजेपी बचाव कर रही है।
इस बीच अग्निपथ योजना के विरोध में हो रहे प्रदर्शन को लेकर बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि हमारे युवा यह मत सोचें कि योजना ठीक है या नहीं। इसमें शामिल होने के लिए राज्य और केंद्र दोनों गंभीर हैं। मैं उनसे (प्रदर्शनकारियों) विरोध वापस लेने और योजना के सकारात्मक पहलुओं को समझने की कोशिश करने का अनुरोध करता हूं।
प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार जो योजना लेकर आई है, उस योजना के तहत लोगों को नौकरी दी जाएगी, लेकिन बच्चे यह समझ नहीं रहे हैं। लगता है युवाओं के पास सही संदेश नहीं पहुंच पाया है। वह इस योजना को समझ नहीं पाए हैं। मैं उन लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वह पूरी चीजों को समझें। 04 साल देश की सेवा करने के बाद विभाग में जा सकते हैं।
वहीं पंचायती राजमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा, मैं युवाओं से अपील करुंगा कि वह शांत हो जाएं। उन्हें एक अवसर मिल रहा है। मिलिट्री में पहले भी इस तरह का प्रावधान हुआ करते थे। 14 साल सेवा करने के बाद वह वापस आकर दूसरे अन्य कार्यों में लग जाते थे।
योजना को लेकर हुआ भारी बवाल
अग्निपथ के विरोध में गुरुवार को बिहार के दर्जनों शहरों में भारी बवाल हुआ है। छपरा, कैमूर में ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि कई शहरों में रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया गया। दरअसल, मंगलवार को सेना में भर्ती के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ‘अग्निपथ योजना’ की घोषणा की थी, जिसके तहत सेना की तीनों शाखाओं- थलसेना, नौसेना और वायुसेना में नौजवानों को सिर्फ 04 साल के लिए डिफेंस फोर्स में सेवा देनी होगी।
चार साल पूरे होने पर उनमें से 25 फीसदी को पूर्णकालिक सैन्य सेवा में ले लिया जाएगा, जबकि बाकी 75 फीसदी सेवामुक्त मान लिए जाएंगे। सरकार ने यह कदम तनख्वाह और पेंशन का बजट कम करने के लिए उठाया है। सरकार की इस योजना से नाराज़ छात्रों का कहना है कि ये योजना उनके भविष्य को बर्बाद कर देगी। उनका कहना है की 04 साल पूरा होने के बाद उन्हें जॉब की गारंटी नहीं मिल रही है।