नई दिल्ली, संकल्प शक्ति। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के चलते बदली हुई भू-राजनीतिक परिस्थितियों में कई देश अंतरराष्ट्रीय कारोबार में डॉलर पर निर्भरता घटाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं और भारत इस दिशा में तेजी के साथ पहल कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दौरे के समय शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक और यूएई के केंद्रीय बैंक के बीच रुपया-दिरहम में द्विपक्षीय कारोबार के समझौते के बाद रविवार को इंडोनेशिया के साथ भी इसी दिशा में पहल हुई है।
इससे पहले रूस, श्रीलंका और मलेशिया के साथ भी भारत रुपये में व्यापार का समझौता कर चुका है। रुपये में विदेश व्यापार के अनेक लाभ हैं। एक तो इससे भारतीय करेंसी का अंतरराष्ट्रीयकरण होगा। इसके अलावा, भारत से डॉलर का बाहर जाना कम होने से रुपये के अवमूल्यन की दर कम होगी और उसमें स्थिरता आएगी। आयातकों-निर्यातकों का समय और खर्च कम होंगे तथा व्यापार लागत कम होगी।