Thursday, November 28, 2024
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साधना का तात्पर्य है अपने आपको साधना, अपने अवगुणों को दूर करना: अजय अवस्थी

जोधपुर, राजस्थान। समाज को नशामुक्त बनाने की दिशा में सतत प्रयत्नशील भगवती मानव कल्याण संगठन के तत्त्वावधान में  श्री विश्वकर्मा मंदिर एवं छात्रावास, विवेक विहार के सामने, जोधपुर (राजस्थान) में सम्पन्न किया गया। गुरुवर व ‘माँ के जयकारे कार्यक्रम के शुभारम्भ में लगवाए गए।

कार्यक्रम की समापन बेला में भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय महासचिव सिद्धाश्रमरत्न अजय अवस्थी जी ने कहा कि ”हमारा सौभाग्य है कि माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा से इस दिव्य अनुष्ठान में हम सभी शामिल हुए हैं। यह श्री दुर्गाचालीसा का पाठ कोई साधारण पाठ नहीं है, बल्कि वह कार्यक्रम है, जिसमें 24 घंटे तप किया जाता है, साधना की जाती है। साधना का मतलब है अपने आपको साधना, अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण प्राप्त करना, अपने अवगुणों को दूर करना। अत: आपके पास कोई भी अवगुण हो, तो उसे दूर कर दो, माँ के समक्ष नतमस्तक होकर उन अवगुणों को दूर करने का संकल्प ले लो, इससे अच्छा अवसर फिर नहीं मिलेगा।

साधना करो तो निष्काम भाव से और ‘माँ से बार-बार भौतिक सामथ्र्य मत माँगो, क्योंकि वे सबकुछ जानती हैं कि कब, किसको क्या चाहिए? और वे पात्रता के अनुसार आशीर्वाद प्रदान करती रहती हैं। ‘माँÓ से माँगना ही है, तो भक्ति, ज्ञान और आत्मशक्ति माँगे, जिसमें सभी सभी समस्याओं का निदान निहित है। एक बार अध्यात्मिकस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम अवश्य पहुँचे, जहाँ पिछले 26 वर्षों से अनन्तकाल के लिए अनवरत ‘माँ का गुणगान, श्री दुर्गाचालीसा का अखण्ड पाठ चल रहा है और जब तक मनुष्य रहेगा यह अखण्ड तप चलता रहेगा।

अंत में सभी भक्तों ने शक्तिजल और महाप्रसाद प्राप्त करके जीवन को धन्य बनाया।

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