Tuesday, November 26, 2024
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सिद्धाश्रम से गुरुजन्मस्थली ग्राम-भदबा तक सद्भावना यात्रा के दौरान सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज का हुआ जगह-जगह भव्य स्वागत

दिनांक 18 नवम्बर 2022 से 22 नवम्बर 2022 तक, सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से बघवार, गोविन्दगढ़, सतना, चित्रकूट, बाँदा सड़क मार्ग होते हुए उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जि़ले में स्थित गुरुजन्मस्थली ग्राम-भदबा पहुँचे और दो दिन पश्चात् वहाँ से प्रयागराज, रीवा मार्ग होते हुए वापस सिद्धाश्रम पहुँचे। यात्रा के दौरान सड़क मार्ग पर पडऩे वाले शहरीय व ग्रामीण क्षेत्रों से परम पूज्य गुरुवरश्री के दर्शन हेतु शिष्यों-भक्तों का प्रवाह उमड़ पड़ा था। जगह-जगह जयकारे लगाते हुए नर-नारी, बालक-वृन्द, बालिकाओं और महिलाओं के हाथों में दीपप्रज्जवलित कलश व आरती की थाल तथा शिष्यों के हाथ में सुशोभित पुष्पमालाएं अत्यन्त ही मनभावन दृश्य थे। इतना ही नहीं; शंखनाद, बैण्ड बाजे और ‘माँ’-गुरुवर के जयकारों की ध्वनियाँ चहुँओर बिखर रही  थीं। इस यात्रा के मनभावन दृश्यों का वर्णन जितना भी अधिक किया जाए, वह कम ही होगा।

सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज मध्यप्रदेश के शहडोल जि़ले में स्थित पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से दिनांक 18 नवम्बर को प्रात: 08:30 बजे श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ मंदिर और मूलध्वज साधना मंदिर में आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा को नमन करने के उपरान्त ग्राम-भदबा, जि़ला-$फतेहपुर (उत्तरप्रदेश) के लिए प्रस्थित हुए। गुरुवरश्री के वाहन के पीछे पूजनीया शक्तिमयी माताश्री व शक्तिस्वरूपा बहनों का वाहन चल रहा था और उनके पीछे कुछ अन्य वाहनों में शिष्यगण चल रहे थे।

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जयकारे लगाते व शंखध्वनि करते हुए तथा करबद्ध नमनभाव से कतारबद्ध खड़े आश्रमवासियों को वाहन से ही आशीर्वाद प्रदान करके सद्गुरुदेव जी महाराज् सर्वप्रथम स्वामी रामप्रसाद आश्रम जी महाराज की समाधिस्थल पर गये, पश्चात् त्रिशक्ति गोशाला पहुंचे, जहाँ पर उन्हें नमन् करने के लिये द्वार पर फूलों से आच्छादित तोरणद्वार सजाए सिद्धाश्रमवासी गोसेवक कतारबद्ध जयकारे लगाते व शंखध्वनि करते हुये खड़े थे, इन्हें भी आपश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया। शनै: शनै: गुरुवरश्री रीवा सड़क मार्ग पर आगे बढ़े। परम पूज्य गुरुवरश्री के आगमन का आभास पाकर ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में स्थान-स्थान पर आरती की थाल सजाये खड़े भक्त सद्गुरुदेव जी के दर्शन करने हेतु पंक्तिबद्ध खड़े थे। यात्रा मऊ, देवलौंद (बाणसागर) होते हुए बघवार पहुंची। सभी स्थानों पर गुरुभाई-बहन व क्षेत्रीयजनों ने अति उल्लास-उमंग के साथ हाथ जोड़कर सद्गुरुदेव जी महाराज को नमन किया।  

गोविन्दगढ़ में सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रीय गुरुभाई-बहनें ‘माँ-गुरुवर के जयकारे लगाते हुए प्रतीक्षारत थे। सभी ने गुरुवरश्री को नमन करके आशीर्वाद प्राप्त किया। बेला, रामपुर बघेलान, सेमरिया चौराहा, सर्किट हाउस चौराहा व सिविल लाइन तिराहा व सतना शहर में क्षेत्रीयजनों का समूह उमड़ पड़ा था। गुरुवरश्री ने वाहन से ही सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। 

यात्रा कोठी, मझगवाँ और नया गाँव होते हुए चित्रकूट पहुँची। भगवान् श्रीराम की वनवासस्थली चित्रकूट में ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारों, शंखध्वनि और पुष्पवर्षा के साथ सद्गुरुदेव जी महाराज की अगवानी की गई। विश्रामस्थल मन्दाकिनी रिसॉर्ट पर स्वागतार्थी जयकारे लगाते व शंखध्वनि करते हुए शृंखलाबद्ध खड़े थे। सभी ने परम पूज्य गुरुवरश्री को हाथ जोड़कर नमन किया और आशीर्वाद के पात्र बने।

दिनांक 19 नवम्बर की प्रात:कालीन बेला, विश्रामस्थल परिक्षेत्र पर गुरुभाई-बहनों और ‘माँÓ के भक्तों के द्वारा लगाए जा रहे जयकारों और किए जा रहे शंखनाद से गुंजायमान था। प्रात: 07:30 बजे गुरुवरश्री आगे की यात्रा के लिए प्रस्थित हुए। आगे-आगे दोपहिया वाहनों में शिष्यगण चल रहे थे, मोटरसाइकिलों पर पीछे बैठे हुए सभी शिष्यों के हाथ में शक्तिदण्डध्वज शोभायमान थे। मोटरसाइकिलों की शृंखला के पीछे परम पूज्य गुरुवरश्री, पूजनीया शक्तिमयी माता जी, शक्तिस्वरूपा बहनों का वाहन और अन्य वाहन आगे बढ़ रहे थे। यात्रा चित्रकूट धाम स्थित भगवान् कामतानाथ जी के मंदिर के निकट जाकर रुकी और परम पूज्य गुरुवरश्री ने मंदिर के अन्दर जाकर कामतानाथ जी को नमन करके उनकी आरती की।

तत्पश्चात् सद्भावना यात्रा रामघाट चौराहे से उत्तरप्रदेश की सीमा में प्रवेश करते हुए बेड़ी पुलिया, शिवरामपुर, भरतकूप, बदौसा, अतर्रा, खुरहंड, महुआ होते हुए चुंगी नाका पहुँची। सभी स्थानों पर स्वागतद्वार बनाए गए थे। जयकारे लगाते हुए स्वागतार्थी, महिलाओं और बच्चियों के हाथों में दीपप्रज्जवलितकलश तथा आरती की थाल एवं गुरुवरश्री को नमन करते हुए गुरुभाई-बहन और क्षेत्रीयवासी, ये दृश्य गुरुवरश्री की यात्रा की शोभा को बढ़ा रहे थे।  

यात्रा महुआ ब्लॉक होते हुए चुंगी नाका से बाँदा पहुँची। बाँदा शहर में भी परम पूज्य गुरुवरश्री का भव्य स्वागत किया गया। तिन्दवारी व बहुआ में हज़ारों लोगों ने सद्भावना यात्रा की अगवानी की। शनै:शनै: गुरुवरश्री की यात्रा ग्राम-शाहपुर, राधानगर होते हुए फतेहपुर शहर पहँुची। सभी स्थानों पर स्वागतार्थ भव्य स्वागतद्वार बनाए गए थे। महिलाएं हाथों में दीपप्रज्जवलितकलश व बच्चियाँ आरती की थाल लिए खड़ीं थीं, क्षेत्रीयजन जयकारे लगा रहे थे। यात्रा आबूनगर होते हुए अल्लीपुर मोड़ से गुरुजन्मस्थली ग्राम-भदबा पहंँुची।  

भदबा ग्राम के प्रवेशद्वार की विशेष साज-सज्जा की गई थी। ग्रामवासी अपने-अपने घरों के सामने गुरुवरश्री के दर्शनों हेतु प्रतीक्षारत थे। गुरुवरश्री ने सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। आगे-आगे मोटरसाइकिल का का$िफला चल रहा था, बैण्डबाजे की धुन गुँज रही थी और हज़ारों भक्त पंक्तिबद्ध होकर आगे बढ़ रहे थे। साथ में गुरुवरश्री, पूजनीया शक्तिमयी माताश्री और शक्तिस्वरूपा बहनों का वाहन और अन्त में शिष्यों के वाहन मन्द गति से चल रहे थे। पूरा गांव ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारों एवं शंखध्वनि व बैण्डबाजे से गुंजायमान था। 

जयकारों और शंखनाद के बीच गुरुवरश्री शक्ति सेवा भवन पहुँचे, जहाँ हज़ारों की संख्या में  गुरुभाई-बहन शक्तिदण्डध्वज लिए कतारबद्ध खड़े थे। परम पूज्य गुरुवरश्री ने सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। दिनांक 21 नवम्बर को सद्गुरुदेव जी महाराज अपने मूल जन्मस्थल पर स्थित माता जगदम्बे के मंदिर पर गए और वहाँ पूजा-अर्चना की तथा शिष्यों-भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया।

 दिनांक 20 नवम्बर को सुबह एवं 21 नवम्बर को सायंकाल भी परम पूज्य गुरुवरश्री ने शिष्यों-भक्तों और ग्रामवासियों को प्रणाम करने का सौभाग्य प्रदान किया। 

 ग्राम-भदबा से सिद्धाश्रम तक  

दिनांक 22 नवम्बर को प्रात: लगभग 7:00 बजे, शक्ति सेवा भवन परिसर और भवन के बाहर हज़ारों की संख्या में शिष्यों-भक्तों के साथ ही ग्रामवासी भी उपस्थित थे और उनके द्वारा सामूहिक रूप से लगाए जा रहे जयकारों से वहाँ का सम्पूर्ण वातावरण सुवासित था। सभी के मनोभावों को पढ़कर  सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने अपने दोनों हाथों से अपना आशीर्वाद प्रदान किया। विदाई बेला के इन क्षणों पर ग्रामवासी अत्यन्त भावुक हो उठे और उनकी आँखों से प्रेमाश्रु छलक उठे।

 गुरुवरश्री की वापसी यात्रा फतेहपुर, खागा, कौशाम्बी होते हुए प्रयागराज पहुँची। प्रयागराज में भी भक्तों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया। यहाँ तो शिष्यों-भक्तों का समूह उमड़ पड़ा था और उनके द्वारा मार्ग के किनारे बहुत ही मनभावन रंगबिरंगे फूलों की शृंखलाबद्ध रंगोली सजाई गई थी। सभी को गुरुदेव जी ने अपना आशीर्वाद प्रदान किया। 

आगे-आगे मोटरसाइकिलों में शिष्यों-भक्तों का पंक्तिबद्ध काफिला, फिर गुरुवरश्री, पूजनीया माता जी, शक्तिस्वरूपा बहनों और गुरुभाईयों के अन्य वाहन चल रहे थे। यात्रा नैनी, घूरपुर, जारी, गन्ने व शंकरगढ़ होते हुए नारीबारी पहुँची। यहाँ शिष्यों, भक्तों व क्षेत्रीयजनों का समूह उमड़ पड़ा था। गुरुवरश्री ने वाहन से ही सभी को सुखी व समृद्ध जीवन का आशीर्वाद प्रदान किया। 

वापसी यात्रा चाकघाट, गंगेव, मनगवां होते हुए रीवा पहुँची। रीवा के शिष्यों-भक्तों ने ‘माँÓ-गुरुवर के जयकारों व शंखध्वनि के साथ यात्रा की अगवानी की। इस तरह परम पूज्य गुरुवरश्री की यात्रा गोविन्दगढ़, बघवार, बाणसागर (देवलौंद) होते हुए वापस पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पहुँचकर सम्पन्न हुई। 

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