इस वर्ष हलहारिणी अमावस्या 28 जून को मनाई जाएगी। ज्ञात हो कि आषाढ़ मास की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। इस दिन किसानों के द्वारा हल और खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों की पूजा करने के साथ ही वृक्षारोपण करना चाहिए।
इस तिथि पर किसान विधि-विधान से हल पूजन करके ईश्वर से फसल हरी-भरी बनी रहने की कामना तो करते ही हैं, पूजन के बाद अपने खेत के किनारे फलदार वृक्ष भी लगाते हैं। इसके साथ ही अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्त्व होता है। इसलिए पितरों के तर्पण के लिए हलहारिणी अमावस्या के दिन पवित्र सरोवरों में स्नान एवं दान-पुण्य किया जाता है।
पवित्र सरोवरों या घर में स्नान करें
इस दिन पवित्र नदी, सरोवर या घर मे ही स्नान करें। इसके बाद तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अध्र्य दें। फिर विधि- विधान से अपने इष्ट की पूजा-अर्चना करें। इसके बाद वृक्ष लगाएं और किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान-पुण्य करें। अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जा सकता है।