नई दिल्ली। अंग्रेज़ों के जमाने के $कानून ख़्ात्म होंगे। मानसून सेशन के आखिरी दिन 11 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 163 साल पुराने 03 मूलभूत $कानूनों में बदलाव के बिल लोकसभा में पेश किए। सबसे बड़ा बदलाव राजद्रोह $कानून को लेकर है, जिसे नए स्वरूप में लाया जाएगा। ये बिल इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) और एविडेंस एक्ट हैं।
अब कई धाराएं और प्रावधान बदल जाएंगे। आईपीसी में 511 धाराएं हैं, जिनमें से 356 बचेंगी। 175 धाराएं बदलेंगी। 08 नई जोड़ी जाएंगी, 22 धाराएं खत्म होंगी। इसी तरह सीआरपीसी में 533 धाराएं बचेंगी। 160 धाराएं बदलेंगी, 09 नई जुड़ेंगी, 09 खत्म होंगी। पूछताछ से ट्रायल तक वीडियो कॉन्फ्रेंस से करने का प्रावधान होगा, जो पहले नहीं था।
तीनों बिल को जांच के लिए संसदीय कमेटी के पास भेजा जाएगा। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में पास किए जाएंगे। वे तीन कानून निम्नवत हैं, जिनमें हुआ बदलाव–
राजद्रोह अब देशद्रोह: ब्रिटिशकाल के शब्द राजद्रोह को हटाकर देशद्रोह शब्द आएगा। प्रावधान और कड़े होंगे। अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के ख़्िाला$फ कोई भी कृत्य, चाहे बोला हो या लिखा हो, या संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो, तो 07 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा संभव होगी। देश की एकता एवं संप्रभुता को ख़्ातरा पहुंचाना अपराध होगा। आतंकवाद शब्द भी परिभाषित। अभी आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह में 3 साल से उम्रकैद तक होती है।
सामुदायिक सजा: पहली बार छोटे-मोटे अपराधों (नशे में हंगामा, पाँच हज़ार से कम की चोरी) के लिए 24 घंटे की सजा या एक हज़ार रु. जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है। अभी ऐसे अपराधों पर जेल भेजा जाता है। अमेरिका-यूके में ऐसा कानून है।
मॉब लिन्चिंग: मौत की सजा का प्रावधान। पाँच या अधिक लोग जाति, नस्ल या भाषा के आधार पर हत्या करते हैं, तो न्यूनतम 07 साल या फांसी की सजा होगी। अभी स्पष्ट $कानून नहीं है। धारा 302, 147-148 में कार्रवाई होती है।
180 दिन में चार्जशीट, 30 दिन में फैसला
पुलिस को 90 दिन में आरोपपत्र दाख़्िाल करना होगा। कोर्ट इसे 90 दिन बढ़ा सकेगा। लेकिन, अधिकतम 180 दिन में जांच पूरी कर ट्रायल के लिए भेजनी होगी। ट्रायल के बाद कोर्ट को 30 दिन में फैसला देना होगा। फैसला एक सप्ताह के भीतर ऑनलाइन अपलोड करना होगा। 03 साल से कम सजा वाले मामलों में संक्षिप्त सुनवाई पर्याप्त होगी। इससे सेशन कोर्ट में 40 प्रतिशत मु$कदमे कम हो जाएंगे।
सियासी इस्तेमाल सीमित: मौत की सजा सिर्फ आजीवन कारावास और आजीवन कारावास को 7 साल तक सजा में बदला जा सकेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सियासी प्रभाव वाले लोग $कानून से बच न सकें। सरकार पीडि़त को सुने बिना 07 साल कैद या अधिक सजा वाले केस वापस नहीं ले सकेगी।
जीरो एफआईआर: देश में कहीं भी एफआईआर दजऱ् करवा सकेंगे। इसमें धाराएं भी जुड़ेंगी। अब तक जीरो एफआईआर में धाराएं नहीं जुड़ती थीं। 15 दिन में जीरो एफआईआर संबंधित थाने को भेजनी होगी। हर जि़ले में पुलिस अधिकारी गिर$फ्तार लोगों के परिवार को प्रमाण पत्र देगा कि वे गिरफ्तार व्यक्ति के लिए जिम्मेदार हैं। जानकारी ऑनलाइन और व्यक्तिगत देनी होगी।
मतदाता को रिश्वत देने पर एक साल की कैद: चुनाव में मतदाता को रिश्वत देने पर एक साल की कैद का प्रावधान है। पहली बार अपराध करने वाले व्यक्ति को कुल कारावास का एक-तिहाई समय जेल में बिताने पर जमानत दे दी जाएगी।