जगाधारी, यमुनानगर। जन-जन में मानवीय मूल्यों की स्थापना करने और सत्यधर्म की शक्ति का अहसास कराने के लिए सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के निर्देशन में भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में जगह-जगह श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ के रूप में दिव्य अनुष्ठान कराए जा रहे हैं।
इसी क्रम में, दिनांक 11-12 फरवरी 2023 को मक्खनलाल, शिब्बूमल धर्मशाला, सिविल लाइन, जगाधारी, जि़ला-यमुनानगर में 24 घण्टे के श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष शक्तिस्वरूपा बहन सिद्धाश्रमरत्न संध्या शुक्ला जी ने उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए अपने दिव्य उद्बोधन में कहा कि ”सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के निर्देशन में ऐसे दिव्य अनुष्ठान देशभर में कराये जाते हैं, जिससे समाज में मानवीय मूल्यों की और सत्यधर्म की स्थापना की जा सके तथा ऋषियों-मुनियों की परम्परा को पुनस्र्थापित किया जा सके। सभी वेद-शास्त्र कहते हैं कि जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। अत: जीवन में गुरु अवश्य बनाना चाहिए। मगर आज समाज की विडम्बना यह है कि वे किस धर्माचार्य को अपना गुरु बनाएं? आज कहीं न कहीं धर्म का पतन हो रहा है और उसका एकमात्र कारण है कि अनेक धर्मगुरु अपने पथ से भटक चुके हैं तथा उन्होंने धर्म को धन कमाने का ज़रिया बना लिया है।
समाज को सद्गुरु की प्राप्ति हो और भारत देश में ही नहीं, बल्कि समूचे विश्व में सनातनधर्म की परचम लहरा सके, इसीलिए परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने विश्वअध्यात्मजगत् को शक्तिपरीक्षण की चुनौती दी है, कि एक ऐसा धर्मसम्मेलन हो, जिसमें धर्माचार्यों के साथ ही वैज्ञानिक हों, वैज्ञानिक परीक्षण यंत्र हों, समाज के बुद्धिजीवी, पत्रकार, वकील, इंजीनियर और डॉक्टर भी उपस्थित हों। धर्मप्रमुखों के समक्ष तीन असम्भव कार्य रख दिए जाएं, जिसे वे अपने अध्यात्मबल से पूर्ण करके दिखाएं। उनकी कुण्डलिनीशक्ति जाग्रत् है या नहीं, योग-ध्यान-साधना की पराकाष्ठा, उन्होंने पार की है या नहीं, एक स्थान पर बैठै-बैठे हज़ारों मील दूर घटित घटनाओं के बारे में वे बता सकते हैं या नही! इस बात का भी परीक्षण हो। परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा है कि यदि वे उस कार्य को न कर सकें, तो मुझे वे कार्य दिए जायें….। और मैं भी शक्तिपरीक्षण के लिए तैयार हूँ। गुरुवरश्री ने यह चुनौती इसलिए भी रखी है, ताकि समाज का शोषण करने वाले धर्माचार्यों का पर्दाफास हो सके।
भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सिद्धाश्रमरत्न सौरभ द्विवेदी जी ने अपनी चिर-परिचित शैली में कहा- ”बाधाएं हों चाहे जीवन में जितना हँसकर गुज़रते हैं, ठोकर लगे चाहे जितना ठोकर पर भी हंसते हैं। फूलों के बीच खिले रहते हैं पुष्प की तरह जो लोग, नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन का संकल्प लेते हैं।।
सद्गुरुदेव जी महाराज कहते हैं कि मेरा एक-एक शिष्य, हज़ारों अन्यायी-अधर्मियों पर भारी पड़ता है। भगवती मानव कल्याण संगठन के नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी और परोपकारी कार्यकर्ता आपको हर जि़ले, हर कस्बे और हर गांव में मिलेंगे। आपके जीवन में परिवर्तन कैसे आए, आपका जीवन तनावमुक्त कैसे हो? इसके लिए पात्रता हासिल करनी पड़ेगी और पात्र बनने के लिए भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ताओं की तरह बनना पड़ेगा।
संगठन के कार्यकर्ताओं, गुरुवरश्री के शिष्यों के घरों में भले ही भौतिक धन-सम्पदा का अभाव हो, लेकिन चैतन्यता और सन्तोष का अभाव नहीं मिलेगा। आज लोग अपनी समस्याओं के निदान के लिए, सुख-शान्ति की खोज में इधर-उधर भटककर ढोंगी-पाखंडियों के जाल में फँस जाते हैं, अन्त में उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। परम पूज्य गुरुवरश्री का कहना है कि अपने-अपने घरों में ही अपने देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करो, साधना-आराधना करो, योग-ध्यान के क्रम अपनाओ, तो जो तुम बाहर ढ़ँढ़ रहे हो, वह घर पर ही मिल जायेगा। अरे, देवी-देवताओं पर किसी एक का कब्जा नहीं है, बल्कि वे आपके अपने हैं। देवी-देवताओं का, अपने इष्ट की कृपा प्राप्त करने के लिए, ज़रूरत है तो केवल नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जीने की।
उद्बोधनक्रम के पश्चात् भक्तों ने विघ्नविनाशक शक्तिजल और प्रसाद प्राप्त किया।