रीवा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार दिनांक 24 अप्रैल को रीवा में आयोजित पंचायती राज सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा, पूज्य बापू कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, लेकिन कांग्रेस ने गांधी के विचारों को अनसुना किया। 90 के दशक में पंचायती राज के नाम पर खानापूर्ति की और गांव के लोगों को बांटकर राजनीतिक दलों ने अपनी दुकानें चलाईं। आज़ादी के बाद जिस दल ने सबसे ज़्यादा सरकार चलाई, उसने ही गांवों का भरोसा तोड़ दिया। कांग्रेस शासन के दौरान गांवों को निचले पायदान पर रखा गया। गांवों के साथ इस तरह का सौतेला व्यवहार करके देश आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने गांवों के विकास के लिए तिजोरी खोल दी है। 2014 के बाद से देश ने पंचायतों के सशक्तिकरण का बीड़ा उठाया। 2014 से पहले पंचायतों के लिए वित्त आयोग का अनुदान 70 हज़ार करोड़ से भी कम था और 2014 के बाद यह अनुदान 70 हज़ार से बढ़ाकर 02 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा हो गया। 2014 से पहले के 10 साल में केंद्र सरकार की मदद से 06 हज़ार के आसपास पंचायत भवन बनवाए गए थे, जबकि हमारी सरकार ने 08 साल के अंदर 30 हज़ार से ज़्यादा नए भवन बनवा दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, खेती के लिए भी जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत है। प्राकृतिक खेती पर ध्यान दिया जाए, केमिकल खेती के नु$कसान पर चर्चा हुई है। धरती की यह पुकार हमें समझनी होगी। हमें हमारी मां को मारने का हक नहीं है। धरती हमारी मां है। मेरा आग्रह है कि हमारी पंचायतें प्राकृतिक खेती को लेकर जनजागरण अभियान चलाएं।
प्रदर्शनी का अवलोकन
इससे पहले प्रधानमंत्री ने पंचायती राज और ग्रामीण विकास से जुड़ी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में आजीविका मिशन, जन-धन योजना सहित तमाम सरकारी योजनाओं से जड़ी जानकारियाँ प्रस्तुत की गईं थीं।
योजनाओं का शिलान्यास
प्रधानमंत्री ने यहां से 2300 करोड़ के रेल प्रोजेक्ट्स और 7853 करोड़ रुपए की पाँच नल-जल योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया और तीन ट्रेनों को वर्चुअली हरी झंडी दिखाई।