अयोध्या, संकल्प शक्ति। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि पर 24 घंटे का यह श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ, माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा का यह गुणगान, सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज की विचारधारा की कड़ी है। मध्यप्रदेश के ब्यौहारी अनुविभाग क्षेत्र में स्थापित पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से चलकर आज यह इस पावन भूमि पर पहुँची है। सनातनधर्म के उत्थान व मानवता की सेवा के लिए स्थापित परम पूज्य गुरुवरश्री की इस विचारधारा को भगवती मानव कल्याण संगठन देश के कोने-कोने में ले जाने के लिए कृतसंकल्पित है।
धर्ममण्डपम्, श्री मणिरामदास छावनी, निकट दीनदयाल आई हास्पिटल, अयोध्या में दिनांक 15 दिसम्बर 2023 से प्रारम्भ श्री दुर्गाचालीसा पाठ के समापन दिवस दिनांक 16 दिसम्बर 2023 पर अध्यात्मिक तपस्थली पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से पहुँचे भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्र्रीय महासचिव और भारतीय शक्तिचेतना पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सिद्धाश्रमरत्न सौरभ द्विवेदी (अनूप) जी ने मृदुल स्वर में उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि ”हर देश की अपनी पहचान है, लेकिन हम उस देश में रहते हैं, जहाँ गंगा बहती है। हमारा देश देवी-देवताओं का देश है और हमारे पूर्वज देवता थे। प्रभु श्रीराम हमारे पूर्वज हंै और सनातनधर्म हमारी पहचान है।
हमारी यह पहचान अक्षुण्यता को प्राप्त न हो सके, इसीलिए कई वामपंथी और देश में ही पल रहीं विरोधी ता$कतें लगी रहीं कि सनातनधर्म के केन्द्र अयोध्या में भगवान् श्रीराम का मंदिर न बन सके, लेकिन प्रकृतिसत्ता माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की कृपा और सद्गुरुदेव जी महाराज के पुरुषार्थ से शीघ्र ही यहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने भव्यस्वरूप में स्थापित हो जायेंगे। श्रीराम के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमारा जीवन कैसा होना चाहिए? मोक्षदायिनी सप्त नगर-अयोध्या, मथुरा, काशी, पुरी, कांछी, अवन्तिका और द्वारिका में अयोध्या का नाम पहले आता है। इन सभी नगरों से किसी न किसी अवतारी पुरुष ने जन्म लेकर समाज का उद्धार किया है। हमारे परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम नामक एक ऐसा पावन पवित्र धाम बना रहे हैं, जहाँ देवी-देवताओं की कृपा के लिए लालायित समाज की मंशा सहज ही पूरी होगी और सिद्धाश्रम में आकर नास्तिक से नास्तिक व्यक्ति भी आस्तिक बनकर जायेगा।
संगठन के केन्द्रीय महासचिव सिद्धाश्रमरत्न रजत मिश्रा जी ने अपनी सौम्य वाणी से उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि ”अयोध्या कर्मवानों की भूमि है, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि है। भगवान् श्रीराम ने समाज को कर्म और मर्यादा का ज्ञान कराया। इसी प्रकार भगवती मानव कल्याण संगठन समाज को माता भगवती की साधना के माध्यम से, दुर्गाचालीसा के अखंड पाठ के माध्यम से समाज को नशामुक्त, मांसाहारमुक्त, चरित्रवान्, चेतनावान् और धर्मवान बनाया जा रहा है। संगठन ने देशस्तर पर करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का कार्य किया है और श्री दुर्गाचालीसा पाठ के माध्यम से समाज को अध्यात्मिक दिशा प्रदान की जा रही है।
परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज हमें धर्मयोद्धा बना रहे हैं और ये धर्मयोद्धा हज़ारों की संख्या में यहाँ बैठे हुए हैं। धर्मयोद्धा का तात्पर्य यह नहीं है कि हमें कहीं युद्ध करने जाना है। हमारे हाथों में कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं है, अपितु हमारे हाथों में धर्मध्वजा है, हमारे ऊपर माता भगवती की कृपा है, हमारे मस्तक पर कुंकुम का तिलक लगा हुआ है और हमारे गले में रक्षाकवच है। हमारी नित्य की साधनाओं की ऊर्जा और हमारे द्वारा किए गए शंखनादों की ऊर्जा हमारे साथ हैं तथापि यही हमारे अस्त्र-शस्त्र हैं।
यहाँ जो आप नवनिर्मित विशाल राममंदिर देख रहे हैं, यह दुनिया का सबसे विशाल, सबसे भव्य मंदिर है, जो 22 जनवरी 2024 को मानवता के लिए समर्पित होगा और भगवती मानव कल्याण संगठन ने मानवता की सेवा, धर्मरक्षा और राष्ट्ररक्षा करने का तथा नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी एवं परोपकारी समाज के निर्माण का प्रण लिया है।
संगठन के केन्द्रीय मुख्य सचिव आशीष शुक्ला (राजू भइया) जी ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा, ”जीवन में जिस दिन से आरामपरस्ती छोड़ देंगे, उस दिन से पुरुषार्थ शुरू होजायेगा। परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा है कि जो व्यक्ति पुरुषार्थी है, वह जीवन में कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता। जिन्होंने भी गुरुवर के चिन्तनों को गहराई से आत्मसात किया है, जिन्होंने गुरुवर की विराटशक्ति को जाना है, वे उनकी विचारधारा पर चलते हुए संस्कारों की यात्रा तय कर रहे हैं।
यह समय ज़ागरूक होने का समय है। आज भी मंदिरों के आस पास शराब की दुकानें संचालित हैं। भगवती मानव कल्याण संगठन के द्वारा समाज को नशामुक्त बनाकर और दिव्य अनुष्ठान श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ के माध्यम से समाज को ज़ागरूक किया जा रहा है। नशा समाज के लिए घातक है, नारीशक्ति के लिए घातक है और जब तक समाज नशामुक्त नहीं होगा, तब तक परिवर्तन संभव नहीं है। गुरुवरश्री के शंखनादों का क्रम आपने देखा है। गुरुवर ने कहा था कि महाशक्ति शंखनाद होने दो, समाज युग परिवर्तन देखेगा और यह परिवर्तन दिखाई देने लगा है। पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पर अक्टूबर महीने में जहाँ नवनिर्मित दिव्य चालीसा भवन का शुभारंभ हुआ, वही तीन माह पश्चात् ही श्री राममंदिर का लोकार्पण होने जा रहा है। यह मात्र संयोग नही, बल्कि एक ऋषि की तपबल का प्रभाव है।
कार्यक्रम का संचालन संगठन के केन्द्रीय प्रवक्ता रमेशचन्द्र मिश्रा जी ने सफलतापूर्वक किया।