विश्व मधुमेह जाग्रति दिवस 27 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में मधुमेह के प्रति ज़ागरूकता फैलाना है। विषय विशेषज्ञों का कहना है कि सन्तुलित, सात्विक भोजन और सही दिनचर्या अपनाने पर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
भागमभाग इस भौतिकवादी युग में लोगों की दिनचर्या काफी असन्तुलित हो गई है, जिसके कारण लोगों में बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं और इन्हीं बीमारियों में से एक है मधुमेह। इस बीमारी से बचने की बहुत ज़रूरत है, क्योंकि यह पूरे जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है। यह दिवस इसलिए मनाया जाता है, जिससे लोग मधुमेह के बारे में ज़ागरुक हो सकें और इससे होने वाली अन्य बीमारियों के बारे में जानकर सचेत रह सकें।
आइए जानते हैं मधुमेह कैसे होता है, इसके क्या लक्षण हैं और इससे बचाव के लिए किस प्रकार से सतर्क रहना चाहिए?
भारत में बढ़ रही मधुमेह नामक बीमारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत देश में यह बीमारी विकराल रूप धारण करती जा रही हैं और वर्ष 2025 तक भारत में दुनिया के सबसे अधिक लगभग 05 करोड़ 70 लाख मधुमेह के रोगी हो जायेंगे। इस बीमारी के कारण लाखों मधुमेह रोगियों की प्रतिवर्ष असमय मृत्यु होजाती है, ऐसे में मधुमेह को लेकर लोगों में ज़ागरूकता अतिआवश्यक है।
विषय विशेषज्ञ बतलाते हैं कि शरीर में जब इंसुलिन का पहुंचना कम होजाता है, तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, ऐसी स्थिति को हम मधुमेह कहते हैं। इंसुलिन का काम शरीर में भोजन को एनर्जी में बदलना होता है और इसी हार्मोन के कारण शरीर में शुगर की मात्रा भी नियंत्रित होती है। जब किसी व्यक्ति के शरीर में भोजन को एनर्जी में बदलने की दिक्कत होती है, तब ऐसी स्थिति में शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित नहीं होती और व्यक्ति मधुमेह के शिकार होजाते हैं। मधुमेह का असर शरीर के अंगों पर तो होता ही है, इसके कारण शरीर में कई अनेक बीमारियाँ घर कर लेती हैं, जिससे किडनी की समस्या और दिल का दौरा पडऩे का ख़्ातरा बढ़ जाता है। मधूमेह टाइप वन व टाइप टू दो प्रकार का होता है। टाइप वन मधुमेह प्राय: बचपन या युवावस्था में होता है, इसमें अग्नाशय ग्रंथि से बहुत कम मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न होती है, इसके रोगी को नियमित रूप से रक्त ग्लूकोज के नियंत्रण के अलावा जीवित रहने के लिए इंसुलिन लेनी पड़ती है। वहीं टाइप 2 मधुमेह 45 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को होता है। पीडि़त मरीजों में लगभग 90 प्रतिशत टाइप 2 मधुमेह के रोगी होते हैं।
मधुमेह के लक्षण
पेट मे दर्द, कमज़ोरी, सिर दर्द, चक्कर, आनावजन में बदलाव, सामान्य से अधिक प्यास लगना, थकान व चिड़चिड़ापन।
मधुमेह की चिकित्सा
बच्चों में यदि मधुमेह है, तो इसका एकमात्र इलाज है इंसुलिन इंजेक्शन और 45 वर्ष से ऊपर के जिन लोगों को यह समस्या है, उनके लिए अन्य दवाएं हैं, जिनका चिकित्सक के बताए अनुसार उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही मरीज व आमव्यक्ति दोनों को भोजन व दिनचर्या को संयमित रखने की आवश्यकता है।
संयमित दिनचर्या
मधुमेह से बचाव के लिए अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाएं, इससे न केवल मधुमेह से बचा जा सकता है, बल्कि शरीर में घर करने वाली अन्य बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी। सबसे ज़रूरी बात यह है कि व्यक्ति का भोजन सात्विक, संतुलित और नियमित होना चाहिए।