Sunday, November 24, 2024
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समस्त दु:खों के निदान का एकमात्र मार्ग है ‘माँ की आराधना: बहन संध्या शुक्ला

सिहावल, सीधी। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 19-20 दिसम्बर को ग्राम-लिलवार, पोष्ट-बमुरी, तह.-सिहावल, जि़ला-सीधी में 24 घंटे के श्री दुर्गाचालीसा अखण्ड पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के शुभारम्भ में ‘माँ-गुरुवर के जयकारे लगवाए गए।

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चालीसा पाठ मे उपस्थित माँ-भक्त

इस दिव्य अनुष्ठान की समापन बेला पर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सिद्धाश्रमरत्न शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि ”माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा हमारी आत्मा की जननी हैं। हर युग में, हर काल में ‘माँ की आराधना होती रही है, देवी-देवता भी ‘माँ’ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ‘माँ की आराधना से जीवन में सुख-शांति भरती चली जाती है। परम पूज्य गुरुवरश्री के निर्देशन में भगवती मानव कल्याण संगठन के द्वारा गांव-गांव, शहर-शहर श्री दुर्गाचालीसा पाठ के रूप में दिव्य अनुष्ठान कराए जा रहे हैं। पिछले 25 वर्षों से यह अभियान चल रहा है, जिससे पूरा समाज चेतनावान् बन सके। 

हम ‘माँ’ के भक्त हैं, तथापि हमें विचार करने की आवश्यकता है कि किस मार्ग पर चलेें? दो ही मार्ग हैं, एक धर्म का मार्ग और दूसरा अधर्म का मार्ग। धर्ममार्ग पर ऋषि-मुनि चलते हैं, साधु-संत-संन्यासी चलते हैं, साधक चलते हैं, सामान्य गृहस्थ चलते हैं और अधर्म के मार्ग पर ढोंगी-पाखंडी, चोर, बेइमान, नशेड़ी और राक्षसीप्रवृत्ति के लोग चलते हैं। अब यह आपको तय करना है कि धर्म के मार्ग पर चलना है या अधर्म के मार्ग पर। धर्ममार्ग पर चलने के लिए भगवा वस्त्र धारण करने की आवश्यकता नहीं है। आप अपने घर में परिवार के साथ रहते हुए भी धर्ममार्ग पर चल सकते हैं, लेकिन सबसे पहले आपको अपने अन्दर साधकप्रवृत्ति लाने की ज़रूरत है।

आज हर कोई परेशान है, दु:खी है, आखिर क्यों? क्योंकि लोग अपने धर्म से विमुख हो चुके हैं और अपनी संस्कृति को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने में लग गए। अनेक लोग धर्म का चोला पहनकर लूट-खसोट मचाए हुए हैं। कोई झाड़-फूँक के नाम पर, तो कोई तन्त्र-मन्त्र, तो कोई भूत-प्रेत की बाधा बताकर, तो कोई गड़ा धन दिलाने के नाम पर अपना धंधा चला रहा है। लोगों को दु:खों से, परेशानी से मुक्ति मिले, इसके लिए कोई मार्ग नहीं सुझाया जाता। सभी अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हुए हैं। परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा है कि नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जीते हुए माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की साधना-आराधना करें, इसी में सभी समस्याओं के निदान का मार्ग निहित है,अन्य कोई रास्ता नहीं है।

भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय मुख्य सचिव सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला ‘राजू भइया जी

भगवती मानव कल्याण संगठन के केन्द्रीय मुख्य सचिव सिद्धाश्रमरत्न आशीष शुक्ला ‘राजू भइया जी‘ ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि ”माता भगवती आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा और परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के आशीर्वाद से इस ग्राम में साधनात्मक अनुष्ठान सम्पन्न हुआ और ‘माँ-गुरुवर की कृपा और आशीर्वाद से जिस क्षेत्र में ‘माँ का गुणगान होजाता है, उस क्षेत्र में परिवर्तन आता चला जाता है। 

आज गुरुवरश्री के आशीर्वाद से उनके दीक्षाप्राप्तशिष्य नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान्, चेतनावान्, पुरुषार्थी और परोपकारी जीवन जीते हुए समाज में परिवर्तन डाल रहे हैं, यह कोई साधारण बात नहीं है। सद्गुरुदेव जी महाराज अपने शिष्यों को तपस्यात्मक मार्ग बढ़ा रहे हैं। गुरुवरश्री का यही कहना रहता है कि यदि मेरा शिष्य बनना चाहते हो, तो नशे-मांसाहार से मुक्त चरित्रवान् जीवन जीना पड़ेगा। भगवती मानव कल्याण संगठन का यह प्रयास है कि हर घर में ‘माँ की ज्योति जले और हर घर में मंदिर जैसा सात्विक वातावरण निर्मित हो। 

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