वैशाख शुक्लपक्ष की सप्तमी को मां गंगा का जन्म दिवस मनाया जाता है और इसे गंगा सप्तमी कहा जाता है। इस वर्ष गंगा सप्तमी का पर्व 27 अप्रैल को मनाया जाएगा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख शुक्लपक्ष की सप्तमी को भगवान् ब्रह्मा के कमंडल से मां गंगा का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गंगा सप्तमी को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। वहीं, उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार में तीर्थ पुरोहित पिछले कई सालों से गंगा जन्मोत्सव मनाते आ रहे हैं।
हरिद्वार में मां गंगा का जन्मोत्सव ढोल नगाड़ों के साथ शोभायात्रा निकालकर मनाया जाता है, जिसमें लोगों के द्वारा मां गंगा की पालकी को पूरे शहर में यात्रा कराई जाती है। गंगा आरती से पहले मां गंगा की पालकी यात्रा हर की पौड़ी ब्रह्मकुंड घाट पर पहुंचती है, इसके बाद हर की पौड़ी पर भव्य रूप से गंगा आरती होती है, जिसमें हज़ारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। इस दिन मां गंगा का ध्यान-भजन करने मात्र से ही मन में उत्पन्न सभी भाव पूरे होने की धार्मिक मान्यता है। इस दिन मां गंगा लोगों के मन की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं। मां गंगा की पालकी यात्रा में स्थानीय लोगों के साथ बाहर से आने वाले लोग भी शामिल रहते हैं। पालकी यात्रा ढोल नगाड़ों के साथ गंगा भजन और जयकारों के साथ पूरे हरिद्वार शहर में भ्रमण करती है।
जानकारी के अनुसार, इस बार हरिद्वार के प्राचीन कुशावर्त घाट से गंगा शोभा यात्रा शुरू होगी। मां गंगा की शोभा यात्रा ढोल नगाड़ों, बैंड बाजों के साथ कुशावर्त घाट से शुरू होकर गऊ घाट, बड़ा बाज़ार, भल्ला रोड, अपर रोड और पूरे शहर में भ्रमण करती हुई शहर कोतवाली, मनसा देवी रोड से होते हुए हर की पौड़ी पर गंगा आरती से पहले पहुंचेगी।
विदित हो कि मां गंगा की पालकी यात्रा ब्रह्मकुंड घाट पर पहुंचने के बाद गंगा आरती भी भव्य रूप से की जाएगी और इसके दो दिन बाद एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया है।