18 जून को पडऩे वाली हलहारिणी अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्त्व है। किसानों के लिए यह अमावस्या बहुत ही अधिक मायने रखती है। आषाढ़ मास की इस अमावस्या तक वर्षाऋतु प्रारम्भ होजाता है और फसल की बुआई के लिए यह समय उत्तम माना गया है। यही कारण है कि इसे आषाढ़ी अमावस्या भी कहते हैं।
ज्ञात हो कि हलहारिणी अमावस्या के दिन हल की पूजा की जाती है। इसके माध्यम से इस दिन किसान प्रकृति और ईश्वर की व हल का विधि-विधान से पूजन करके फसल के हरी भरी बने रहने की प्रार्थना करते हैं।
पितरों की पूजा का है विधान
हलहारिणी अमावस्या के दिन पितरों की कृपा पाने और उनकी प्रसन्नता के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का भी विधान है। माना जाता है कि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने परिवारी जनों को आशीर्वाद देते हैं।
पीपल के पेड़ की पूजा करें
अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियों की ता$कत बढ़ जाती है अत: इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा विशेष रूप से फलदायी है। मान्यता है कि इस पेड़ के नीचे अपने पितरों की मंगलकामना करते हुए उनके नाम से घी का दीपक जलाने से उनकी कृपा बनी रहती है।