Monday, November 25, 2024
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19 सितंबर से आरंभ है गणेशोत्सव

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष गणेश चतुर्थी का उत्सव भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारम्भ होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान् गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्रकाल के प्रहर में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। 10 दिनों तक चलने वाला गणेशोत्सव इस वर्ष 19 सितंबर 2023 से आरंभ होगा और विसर्जन 28 सितंबर 2023 को होगा। गणेशोत्सव पर्व के अवसर पर चारों तरफ उत्सव का वातावरण निर्मित रहता हैं और हर किसी के मन में गणपति से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की अभिलाषा रहती है। 

 गणेश जी के प्रमुख 12 नाम

भगवान् गणेश जी को सनातनधर्म में विध्नहर्ता और प्रथम पूज्यनीय देवता माना गया है और इन्हे देव समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। गणेश जी का वाहन मूसक है। इनकी दो पत्नियां भी हैं, जिन्हें रिद्धि और सिद्धि के नाम से जाना जाता है। इनका सर्वप्रिय भोग लड्डू यानि मोदक है। गणेश जी के अनेक नाम हैं, लेकिन ये 12 नाम प्रमुख है- एकदंत, समुख, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्नविनाशक, विनायक, धूमकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र और गजानन। विद्यारम्भ तथा विवाह के पूजन के समय इन नामों से गणपति की अराधना का विधान हैं।

प्रसिद्ध है महाराष्ट्र का गणेशोत्सव

गणेशोत्सव हिन्दुओं का एक उत्सव है। वैसे तो यह लगभग पूरे भारत में मनाया जाता है, किन्तु महाराष्ट्र का गणेशोत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र में भी पुणे का गणेशोत्सव जगत् प्रसिद्ध है। यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी भी कहते हैं।

भगवान् गणेश जी की प्रतिष्ठा सम्पूर्ण भारत में समान रूप में व्याप्त है। महाराष्ट्र इसे मंगलकारी देवता के रूप में व मंगलपूर्ति के नाम से पूजता है। दक्षिण भारत में इनकी विशेष लोकप्रियता ‘कला शिरोमणिÓ के रूप में है। मैसूर तथा तंजौर के मंदिरों में गणेश की नृत्य-मुद्रा में अनेक मनमोहक प्रतिमाएं हैं।

ऐसे करें गणेश जी की पूजा

गणेश जी की कृपा पाने के लिए पूजन के समय प्रसाद के लिए बेसन या बूंदी के लड्डू एवं गुरधानी ज़रूर रखें। धूप-दीप, लाल चन्दन, मोली, चावल, पुष्प, दूर्वा, जनेऊ, सिन्दूर आदि से भक्तिभाव से गणेश जी का पूजन करना चाहिए। कष्टों से निवारण और शत्रु बाधा से बचने के लिए भगवान् गणेश जी के मंत्र ”ú गं गणपतये नम:ÓÓ का पाठ करना उत्तम रहता है।

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