आषाढ़ मास की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। ये तिथि किसानों के लिए विशेष मानी गई है। इस दिन वृक्षारोपण के साथ ही पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ, श्राद्ध आदि कर्म भी किए जाते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, एक साल में कुल 12 अमावस्या होती हंै। इनके नाम और महत्त्व भी अलग-अलग होते हैं। इनमें से आषाढ़ मास की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। इस तिथि का महत्त्व कईं धर्मग्रंथों में बताया गया है। इस बार ये तिथि 05 जुलाई 2024 को है।
पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या 05 जुलाई, शुक्रवार की सुबह 04 बजकर 58 मिनिट से शुरू होगी, जो अगले दिन 06 जुलाई, शनिवार की सुबह 04 बजकर 27 मिनिट तक रहेगी। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 05 जुलाई, शुक्रवार को होगा, इसलिए इसी दिन हलहारिणी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन ध्रुव और पद्म नाम के 2 शुभ योग भी रहेंगे।
विशेष क्यों है यह पर्व?
हलहारिणी में जो हल शब्द आया है, वह खेती में उपयोग किए जाने वाला एक यंत्र है। पूर्वकाल में हल के बिना खेती करना संभव नहीं था और आज भी बहुत से क्षेत्रों में किसान हल से ही खेतों की जुताई करते हैं। आषाढ़ मास बारिश का मौसम होता है, जो खेती के लिए उपयुक्त है। इसी समय किसान हल से खेत जोतते हैं और बुआई आदि कार्य करते हैं। अच्छी बारिश से फसल पकती है, इसी से किसानों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हलहारिणी अमावस्या पर ही किसान अपने खेती के उपकरणों की पूजा करते हैं, जिनमें हल प्रमुख होता है।