Monday, November 25, 2024
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आषाढ़ शुक्लपक्ष की सप्तमी को धरती पर अवतरित हुई थी ताप्ती नदी

आषाढ़ मास की शुक्लपक्ष की सप्तमी को ताप्ती जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष यह 06 जुलाई, दिन बुधवार को है। माना जाता है कि, भगवान् सूर्य ने स्वयं की गर्मी या ताप से अपनी रक्षा करने के लिए ताप्ती को धरती पर अवतरित किया था और जिस दिन ताप्ती का अवतरण हुआ था, उस दिन अषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की सप्तमी थी।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, माँ ताप्ती सूर्यपुत्री और शनिदेव की बहन हैं। इसलिए कहा जाता है कि, ताप्ती की वंदना से शनि के प्रभाव से राहत मिलती है। ताप्ती की वंदना से कष्टों का निवारण होकर जीवनदायनी शक्ति प्राप्त होती है। मान्यता यह भी है कि, ताप्ती नदी दुनिया की एकमात्र नदी है, जो हड्डियों को गला देती है। इस नदी की धारा में दीपदान, पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्त्व है।

अवतरण कथा

सूर्यपुत्री ताप्ती के जन्म की कथा महाभारत सहित कई पुराणों में मिलती है। जिसके अनुसार, सूर्य भगवान् की पुत्री तापी को ताप्ती कहा गया है। भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान् सूर्य ने विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा/ संजना से विवाह किया था। इनमें से संजना से उनकी दो संतानें हुईं-कालिंदनी और यम। उस समय सूर्य अपने वर्तमान रूप में ना होकर अंडाकार रूप में थे। संजना को सूर्य का ताप सहन नहीं हुआ और वे अपने पति की परिचर्या अपनी दासी छाया को सौंपकर एक घोड़ी का रूप धारण करके मंदिर में तपस्या करने चली गईं।

छाया ने संजना का रूप धारण कर लंबे समय तक भगवान् सूर्य की सेवा की। इसी बीच सूर्य से छाया को शनिचर और ताप्ती नामक दो संतानें हुईं। इसके अलावा सूर्य की एक और पुत्री सावित्री भी थीं। सूर्य ने अपनी पुत्री ताप्ती को यह आशीर्वाद दिया था कि वह विनय पर्वत से पश्चिम दिशा की ओर बहेगी।

मिला वरदान

वायुपुराण में उल्लेखित एक कथा के अनुसार, कृत युग में चन्द्रवंश में ऋष्य नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे। उनके एक सवरण को गुरु वशिष्ठ ने वेदों की शिक्षा दी। एक समय जब सवरण राजपाट का दायित्व गुरु वशिष्ठ के हाथों सौंपकर जंगल में तपस्या करने के लिए निकले, तब वैभराज जंगल में सवरण ने एक सरोवर में कुछ अप्सराओं को स्नान करते हुए देखा, जिनमें से एक ताप्ती भी थीं। ताप्ती को देखकर सवरण मोहित हो गया और सवरण ने आगे चलकर ताप्ती से विवाह कर लिया।

बहन ताप्ती को उसके भाई शनिचर (शनिदेव) ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई-बहन यम चतुर्थी के दिन ताप्ती और यमुनाजी में स्नान करेगा, उनकी कभी भी अकाल मौत नहीं होगी।

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