संकल्प शक्ति। राजनीतिक दलों में इन दिनों जहाँ एक-दूसरे की बदनामी करने की प्रथा जोर पकड़ रही है, वहीं सरकार गिराने के लिए विधायकों की ख़्ारीद-फरोख़्त का मामला गर्माया हुआ है। कथित रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जो यह स्वार्थसंस्कृति की शुरुआत की है, वह स्वयं के पैरों में कुल्हाड़ी मारने की कहावत को चरितार्थ कर रहा है।
जैसे ही आम आदमी पार्टी (आप) ने गुजरात राज्य में पैठ बनाने की शुरुआत की, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कान खड़े हो गए और शुरू होगया तथाकथित भ्रष्टाचार का द्वंद। जब भाजपा ने आप के कथित भ्रष्टाचार पर खूब हो-हल्ला मचाया, रैली निकाली, तो आप भी पीछे क्यों रहती? उसने भी भाजपा की वर्षों से चली आ रही प्रचारित शैली को, रैली निकालकर व मीडिया में बयानबाजी करके खूब उछाला। उसने तो यहाँ तक कह दिया कि ‘उसके 40 विधायकों को, प्रति विधायक बीस-बीस करोड़ रुपए देने की पेशकश की गई है कि आकर हममें शामिल होजाओ। आ$िखर यह अरबों रुपया आता कहाँ से है?
अब भाजपा, आप से सबूत माँग रही है। अरे, विधायकों की खरीद-फरोख्त और किसी भी सरकार को गिराने का कोई सबूत तो मिलता नहीं, तो फिर आम आदमी पार्टी के विधायकों को बीसे-बीस करोड़ देने का प्रस्ताव भाजपा की ओर से आया था कि नहीं, यह कहना मुश्किल है। लेकिन, किसी भी सरकार को गिराने के लिए जो कार्यशैली अपनाई जाती है, वह वास्तव में भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत ही निंदनीय कहा जा सकता है। कि, विधायकों को लेजाकर पंचसितारा होटलों में ठहरा करके उनकी खूब आवभगत करना, उन्हें विलासिता की सामग्री उपलब्ध कराने, होटलों के बेशकीमती कमरों का किराया, उनको दिया जाने वाला करोड़ों का आफर, यह अरबों की राशि तो उन्हीं राजनीतिक पाटिर्यों के पास हो सकती है, जो बहुत ता$कतवर होते हैं।
अब तो विधायकों की ख़्ारीद-$फरोख्त और सरकार गिराने का सिलसिला सा चल पड़ा है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार में हुआ बड़ा फेरबदल कुछ इसी तरह से होने की चर्चाएं रहीं। विधायकों को पंचसितारा होटलों में महीनों रखा गया। इतना ही नहीं उन्हें जगह-जगह हवाई यात्रा कराई गई, उन्हें ऐसी-ऐसी सुविधाओं से नवाजा गया कि जिसके बारे में वे कभी सोच भी नहीं सकते थे। अब तो लालच के वशीभूत दल, बदलने का रिवाज भी खूब चल पड़ा है कि जहाँ मलाई देखी, वहीं चट करने पहुँच गए। इस तरह लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाई जा रहीं हैं।
जैसा कि मालूम है, महाराष्ट्र से पहले मध्यप्रदेश में सरकार गिराई गई और उससे पहले बारी आई थी कर्नाटक की। यही प्रयास राजस्थान में भी हुआ। अरे, सत्ता हथियाने के लिए जब राज्य सरकारें गिराने की अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो इससे लोकतंत्र की धज्जियाँ बिखरती हैं और जनविश्वास आहत होती है।
महाराष्ट्र में अपनी मंशा की जीत पर गौरवान्वित भाजपा की सीधी नज़र दिल्ली की आम आदमी सरकार पर जाकर टिक गई कि किस तरह इस सरकार को गिराया जाए? इसके लिए आपरेशन लोटस चलाया गया, लेकिन दिल्ली की आप सरकार को गिराने की भाजपाई मंशा पूरी नहीं हुई और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल विश्वासमत हासिल करने में सफल रहे।
ज़रूरत है कि लोकतंत्र की पवित्रता को बनाए रखा जाए, अन्यथा इसकी विश्वस्नीयता पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है।